पटना: बिहार में 16 से 18% के बीच आबादी मुसलमानों की है और लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए एमवाई समीकरण के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की थी. मुस्लिमों में भी बहुतायत आबादी पसमांदा मुसलमानों की है. पसमांदा मुसलमानों को अब तक उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया है. कुछ एक लोगों को राज्यसभा या विधान परिषद भेजा गया, लेकिन इसके बावजूद पसमांदा समुदाय सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से बिहार के अंदर निचले पायदान पर हैं
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जेडीयू ने दो पसमांदा नेताओं को भेजा राज्यसभा : पसमांदा मुसलमानों को लेकर आवाज पहले भी उठती रही है. डॉ एजाज अली और अली अनवर पुरजोर तरीके से आवाज उठाते रहे हैं. दोनों नेताओं को जदयू की ओर से राज्यसभा भेजा गया था. पसमांदा वोट को साधने के लिए नीतीश कुमार ने पसमांदा कार्ड खेला था. आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पसमांदा मुसलमानों की संख्या 80% से अधिक बताई जाती है. मुसलमानों में बहुसंख्यक होने के बाद भी पसमांदा मुसलमान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ा हुआ है.
पसमांदा समाज ने रखी सरकार से मांगें: अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक है, वैसे में पसमांदा आंदोलन जोर पकड़ने लगा है. जुलाई अगस्त महीने में बापू सभागार में पसमांदा समाज के लोग जुटकर आवाज बुलंद करेंगे. पसमांदा समाज के लोगों ने समाज के उत्थान के लिए सरकार के सामने मांगे भी रखी है. पहली मांग पसमान्दा मुस्लिम समाज को भारत के सम्पूर्ण संसाधन का जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए. दूसरा, केन्द्र सरकार जस्टिस सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा कमिशन की सभी सिफारिशों को संसद के माध्यम से इसी सत्र में पास करे.
भाजपा के साथ जाने पर भी परहेज नहीं : तीसरी मांग, समान नागरिक संहिता कानून को जबरन थोपने के बजाये अनुसूचित जाति जनजाति, इसाई, सिख व पसमान्दा मुस्लिम के साथ विभिन्न मतों के हिन्दू भाई बहनों की आम राय से सरकार एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन करे. इसमें सभी समुदाय व मतावलंबियों का प्रतिनिधित्व हो, ताकि सभी के धार्मिक आस्थाओं को संवैधानिक तरीके से संरक्षित किया जाये. पसमांदा समुदाय के लोगों ने सेक्युलरिज्म की राजनीति से तौबा कर लिया है. उनका मानना है कि जो कोई भी उनके हक की बात करेगा. वह उनके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी से भी उन्हें परहेज नहीं है.
बीजेपी नेता पसमांदा समुदाय के बीच कर रहे काम: मौके की नजाकत को भाजपा भी बखूबी समझ रही है. पसमांदा वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने बिहार में दलित नेता संजय पासवान को लगाया है. संजय पासवान बिहार के कई जिलों में सम्मेलन कर चुके हैं. इसके अलावा सूफी संतों के जरिए भी भाजपा पसमांदा मुसलमानों को करीब लाने की कोशिश कर रही है. साथ ही साथ जो भी सरकारी योजनाएं हैं. उन सब को पसमांदा मुस्लिम तक पहुंचाने के लिए भाजपा नेता काम कर रहे हैं.