पटना:बिहार बीजेपी (Bihar BJP) सुशील मोदी (Sushil Modi), नंदकिशोर यादव (Nandkishore Yadav) और प्रेम कुमार (Prem Kumar) के नाम से जानी जाती थी. तीनों नेता लंबे समय तक पार्टी के नीति निर्धारक रहे हैं. 15 साल तक सुशील मोदी जहां उपमुख्यमंत्री बने रहे. वहीं, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में जगह मिली. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 2020 के विधानसभा चुनाव में कमजोर हुए और इसका सीधा असर तीनों नेताओं के करियर पर पड़ा है.
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तीनों नेता नीतीश कुमार की पसंद माने जाते थे और सरकार बनने के वक्त तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल भी किया जाता था. लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव के परिणामों में नीतीश कमजोर हुए और तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी.
सुशील मोदी को बाद में राज्यसभा भेजा गया, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) में उनके हाथ निराशा लगी और बिहार से किसी भी नेता को दूसरे विस्तार में जगह नहीं मिली. जेपी नड्डा की टीम में कुछ पद खाली पड़े हैं. केंद्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष के दो पद अन्नपूर्णा देवी और मुकुल राय के चलते खाली हुए हैं. महामंत्री के 2 पद भी खाली हैं. भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं और राष्ट्रीय मंत्री के भी 2 पद खाली हैं.
''तीनों नेताओं की भूमिका पार्टी में अभी है. जहां तक सवाल जगह मिलने की है, तो सिर्फ नेतृत्व समय-समय पर नेताओं की भूमिका और जिम्मेदारी तय करता है.''- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता