पटनाः एनडीए से लोजपा बाहर निकल चुकी है और जदयू के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है. चिराग पासवान के रवैया से नीतीश कुमार पहले से ही नाराज थे.यह कयास भी लगाए जा रहे थे कि नीतीश को नाराज करके चिराग एनडीए में बने रहेंगे यह संभव नहीं है.
दरअसल एलजेपी और जेडीयू के बीच केवल सीटों का मामला नहीं फंसा बल्कि चिराग के 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट एजेंडे' को भी नीतीश ने ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की. अब लोजपा एनडीए से बाहर है तो ऐसे में विधानसभा चुनाव के रिजल्ट पर क्या असर होगा यह देखना दिलचस्प है. विशेषज्ञ कहते हैं कि सारा कुछ लोजपा के दलित वोटरों को रिझाने पर निर्भर करेगा.
जदयू भाजपा का वोट% के साथ रिजल्ट बेहतर
ऐसे पिछले विधानसभा चुनाव को देखें तो जदयू और भाजपा जब-जब साथ रहे दोनों का वोट प्रतिशत है बढ़ता रहा. 2005 में फरवरी में जो चुनाव हुआ उसमें जदयू को 14.55% वोट मिला था अक्टूबर में जो चुनाव हुए उसमें 20.46% वोट मिला. 2010 के चुनाव में जदयू को 22.58 प्रतिशत वोट मिला लेकिन राजद कांग्रेस के साथ 2015 के चुनाव में जदयू को 16.83 प्रतिशत वोट मिला. 2010 के मुकाबले 6 प्रतिशत वोट घट गया है.
जदयू के साथ बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा
भाजपा की भी बात करें तो 2005 फरवरी के चुनाव को छोड़कर सभी चुनाव में जदयू के साथ वोट प्रतिशत बढ़ता रहा. 2005 फरवरी के चुनाव में 10.97% वोट मिला था. हालांकि उससे पहले 2000 में जो चुनाव हुए थे, उस में भाजपा को 14.64% वोट मिला था. लेकिन 2005 अक्टूबर के चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़कर 15.65 हो गया 2010 में बीजेपी को 16.49% वोट मिला और 2015 के चुनाव में 24.42 वोट प्रतिशत मिला.
2015 में लोजपा से बीजेपी को नहीं मिला लाभ
2015 में बीजेपी का वोट प्रतिशत तो जरूर बढ़ा लेकिन सीट काफी कम गई. 2010 में जहां बीजेपी 102 सीट पर चुनाव लड़ी थी और 91 पर जीती थी वहीं 2015 मे 157 सीट पर चुनाव लड़ी जीती केवल 54 पर. 2005 से 2010 तक जदयू बीजेपी का गठबंधन चलता रहा. लोजपा बाहर रही लेकिन 2015 में नीतीश कुमार के अलग होने के कारण लोजपा एनडीए में शामिल हो गई, लेकिन उसका लाभ बीजेपी को नहीं मिला.