पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) दिल्ली आंख दिखाने गए थे. वह 8 दिन बाद दिल्ली से आंख दिखाकर लौटे आए. पटना एयरपोर्ट (Patna Airport) पर जब नीतीश कुमार से पूछा गया कि यात्रा कैसी रही तो उन्होंने कह दिया कि सब कुछ ठीक है. दरअसल, बिहार से जाते समय दिल्ली में मुलाकात और होने वाली बातों को लेकर जितने सवाल उठे थे, वे सभी अधूरे ही रह गए. क्योंकि नीतीश ने कह दिया कि सब कुछ ठीक है.
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चर्चा इस बात की थी कि 2020 के चुनाव में चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने जिस तरीके से नीतीश का विरोध किया था, उस पर बात होगी. अब हुई कि नहीं, लेकिन नीतीश ने कह दिया सब ठीक है. लोजपा टूट गई. आरोप जदयू पर लगा. सफाई पर बात भी होनी थी, नहीं हुई. लेकिन नीतीश ने कह दिया सब ठीक है. उत्तर प्रदेश में जदयू 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. भाजपा से गठजोड़ होगा कि नहीं होगा, चर्चा इस पर भी होनी थी, लेकिन नहीं हुई. फिर भी नीतीश ने कहा सब ठीक है.
मंत्रिमंडल विस्तार पर होनी थी बात
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयास थे. दिल्ली पहुंचने पर नीतीश कुमार ने कहा भी था कि मंत्रिमंडल विस्तार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मामला है, लेकिन चर्चा जरूर होगी. नहीं हुई, फिर भी नीतीश कुमार ने कह दिया सब ठीक है. सवाल यह उठ रहा है कि क्या बिहार की सियासत में सब कुछ ठीक है. क्योंकि जिस आंख को दिखाने नीतीश कुमार दिल्ली गए थे, उसका इलाज तो हो गया, लेकिन जिन आंखों से और बहुत कुछ होना था वह अधूरा रह गया जो बिहार में पूरा सवाल लिए खड़ा है.
मंत्रिमंडल विस्तार अहम मुद्दा
केंद्र में नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. यह मोदी के सहयोगियों के लिए अहम मुद्दा है. जदयू (JDU) के लिए खास इसलिए भी कि जब सरकार 2019 में शपथ ले रही थी, 1 सीट जदयू के खाते में गई थी, लेकिन नीतीश ने मना कर दिया था. साफ कह दिया था कि हिस्सेदारी सम्मानजनक होनी चाहिए. एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की बात चल रही है तो सवाल काफी तेजी से उठ रहे थे कि इस बार के विस्तार में जदयू का क्या होगा?
नीतीश कुमार जब 8 दिन पहले दिल्ली गए थे तब उनसे सवाल भी किया गया था. जवाब मिला था कि मंत्रिमंडल विस्तार पीएम मोदी का मामला है. इस पर वह निर्णय लेंगे. जदयू की बात आने पर पार्टी को फैसला जरूर लेना होगा. इस पर चर्चा होनी थी, लेकिन नहीं हुई. नीतीश कुमार ने पटना पहुंचकर कह तो दिया कि सब ठीक है, लेकिन यह उत्तर ही अपने आप में इतना बड़ा विरोधाभास लिये हुए है कि विभेद की राजनीति सवालों का दामन ही नहीं छोड़ रही है.
लोजपा की बात
नीतीश कुमार से जब यह पूछा गया था कि लोजपा में जो कुछ हुआ उसको लेकर आप क्या कहेंगे तो उन्होंने दिल्ली में कहा कि लोजपा में जो कुछ हो रहा है वह उनके परिवार का मामला है. एनडीए जिस तरीके से चल रहा है उसमें गठबंधन के लिए होने वाला हर निर्णय गठबंधन परिवार का होता है. लोजपा के टूट जाने के बाद जिस तरीके से सियासत नीतीश के दरवाजे तक पहुंची थी, आरोप भी लगने शुरू हो गये थे.
चिराग ने खुलकर कह भी दिया था कि यह नीतीश का काम है. गठबंधन में शामिल दल को उसी गठबंधन के लोग तोड़ते रहे तो संभव है कि नीति और नियति दोनों पर सवाल उठेगा. चर्चा इस पर भी होनी थी, लेकिन नहीं हुई. इस बात पर उत्तर नीतीश ने सिर्फ यही दिया कि सब ठीक है. अब सवाल यह है कि लोजपा का टूट जाना ठीक है या उस मुद्दे पर बात ना हो यह ठीक है. सियासत इसमें भी अपने लिए उत्तर ही खोज रही है.
कोरोना, विकास और बाढ़ पर बात
नीतीश कुमार एक लंबे अंतराल के बाद दिल्ली गए थे. इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि कोरोना वायरस ने जिस तरीके से बिहार में कहर बरपाया. बिहार की सरकार ने जिस तरीके से कोरोना वायरस से लड़ाई की. कोरोना के बाद बिहार में विकास के जो हालात हैं, उसे गति कैसे दी जाए? वर्तमान में बिहार के सामने बाढ़ की विभीषिका खड़ी है उससे निपटा कैसे जाए? इसमें केंद्र से क्या-क्या सहयोग चाहिए? इस पर भी बात होनी थी, लेकिन नहीं हुई. नीतीश ने कह दिया सब ठीक है.
यह तो बिहार ही जान रहा है कि क्या ठीक है. कोरोना महामारी में जिन लोगों ने सरकारी व्यवस्था के कारण अपनों की जाने गंवाई उनका तो कुछ भी ठीक नहीं है. जिन लोगों की नौकरी गई उनका कुछ भी ठीक नहीं है. बाढ़ आने के बाद जो बेघर हो गए हैं. उनका कुछ भी ठीक नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार तो कह दिए कि सब ठीक है. बिहार की सियासत इसे सुनकर भी स्तब्ध है और अपने लिए सब ठीक होने का रास्ता खोज रही है.