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पंचायत चुनाव: नक्सल प्रभावित कैमूर और रोहतास की पहाड़ियों पर पुलिस का सर्च ऑपरेशन - naxal affected booth

बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) को लेकर पटना प्रमंडल (Patna Division) के दो नक्सल प्रभावित (Naxal Affected) जिलों रोहतास और कैमूर में पुलिस अलर्ट मोड में है. साथ ही लगातार आपराधिक तत्वों के लोगों पर कार्रवाई की जा रही है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

बिहार पंचायत चुनाव
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Published : Sep 16, 2021, 4:46 PM IST

पटना:बिहार के पटना प्रमंडल (Patna Division) में कुल 7 जिले पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर आते हैं. इनमें से 2 जिले नक्सल प्रभावित (Naxal Affected) हैं. रोहतास का नोहटा प्रखंड क्षेत्र लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहा है. रोहतास और कैमूर के कई बूथ नक्सल प्रभावित हैं.

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पंचायत चुनाव (Panchayat Election) के मद्देनजर इन बूथों पर 3 चरणों में पुलिस फोर्स (Police Force) की तैनाती की जाएगी. इन नक्सल प्रभावित बूथों की जिम्मेवारी बिहार सशस्त्र पुलिस बल के जिम्मे होगी. वहीं, इन बूथों के बाहर पेट्रोलिंग की जिम्मेवारी बिहार पुलिस के कंधे पर होगी और स्क्वायड की टीम भी तैनात रहेगी. पटना प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा इन क्षेत्रों में पुलिस अधीक्षकों के माध्यम से नजर रखी जा रही है. आपराधिक तत्वों के लोगों पर कार्रवाई की गई है. चुनाव के दौरान भी अगर कोई व्यक्ति गड़बड़ी करता नजर आएगा, तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी. गड़बड़ी करने वाले लोगों को चिन्हित भी किया गया है.

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पंचायत चुनाव को लेकर रोहतास एसपी के नेतृत्व में छापेमारी की जा रही है. रोहतास और कैमूर की पहाड़ियों में सर्च ऑपरेशन जारी है. रोहतास जिले के अति नक्सल प्रभावित गांव रेहल, नागा टोली, धनसा, बड़का बधुआ, रोहतासगढ़ सहित आधा दर्जन गांवों और जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार रोहतास नक्सल प्रभावित चेनारी विधानसभा के कैमूर विधानसभा पर 20 सालों के बाद कई गांव में पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान वोट डाले गए थे.

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''पटना प्रमंडल के अंतर्गत सभी जिलों में चुनाव को लेकर समीक्षा की गई है. सभी जिला पुलिस अधीक्षक को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने के निर्देश दिए गए हैं. चुनाव के दौरान गड़बड़ी करने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है. ऐसे लोग सीधा जेल की सलाखों के पीछे होंगे. मतदान के दिन बूथ के अलावा पेट्रोलिंग और फ्लाइंग स्क्वायड की टीम भी तैनात रहेगी, जिसकी मॉनिटरिंग वरीय पुलिस अधिकारी के द्वारा की जाएगी. ताकि, कोई व्यक्ति गड़बड़ी ना कर सकें और आम व्यक्ति निष्पक्ष तरीके से अपने मत का प्रयोग कर सकें.''- संजय अग्रवाल, पटना प्रमंडल आयुक्त

ईटीवी भारत के माध्यम से प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव करवाने को लेकर ऑब्जर्वर की तैनाती की गई है. अगर किसी भी प्रत्याशी को किसी तरह की सूचना या उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है, तो उसकी शिकायत वो ऑब्जर्वर से कर सकते हैं. जिला पुलिस के अलावा हर चरण में अतिरिक्त फोर्स की भी तैनाती पुलिस मुख्यालय के द्वारा की जाएगी. इसके अलावा सेंसेटिव और नक्सली प्रभावित बूथों पर पुलिस फोर्स की पैनी नजर रहेगी.

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पटना प्रमंडल आयुक्त ने बताया कि पटना प्रमंडल के अंतर्गत 2 जिले के कुछ बूथ नक्सल प्रभावित पहले भी रहे हैं. जिस वजह से उन बूथों को चिन्हित कर विशेष रणनीति बनाई गई है. इन बूथों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जाएगी. दरअसल, पुलिस और सुरक्षा बलों की ओर से चलाए जा रहे अभियान और कोरोना संकट की वजह से बिहार में नक्सली गतिविधियों में लगातार कमी आई है. इसी के साथ नक्सलियों का इलाका भी घटा है. गृह मंत्रालय ने कुछ महीनों पहले ही सूबे के 6 जिलों को नक्सल प्रभाव से मुक्त घोषित किया है. हालांकि, बिहार में अभी भी 10 जिलों में नक्सलियों का खौफ कायम है.

बिहार में अभी 10 जिले नक्सली प्रभावित हैं. इनमें औरंगाबाद, गया, मुंगेर, जमुई, कैमूर, नवादा, लखीसराय, बांका, रोहतास और पश्चिम चंपारण शामिल हैं. इनमें औरंगाबाद सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित माना जाता है. गया, जमुई और लखीसराय को ज्यादा प्रभावित क्षेत्र की कैटेगरी में रखा गया है. दरअसल, देश भर में 8 राज्यों के 25 जिलों को अत्यधिक नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में रखा गया है. इनमें से बिहार के 3 जिले गया, जमुई और लखीसराय हैं.

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जानकारी के अनुसार नक्सल प्रभावित जिलों की एक नई श्रेणी बनाई गई है. इनमें नक्सल प्रभावित ऐसे जिले रखे गए हैं, जहां उग्र तरीके से यह नक्सलवाद चल रहा है, ऐसा बिहार का एकमात्र जिला औरंगाबाद है. पुलिस मुख्यालय द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बिहार के 10 जिले जो नक्सल प्रभावित हैं, उन जिलों में नक्सल प्रभावित बूथों पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है, ताकि पंचायत चुनाव के दौरान नक्सलियों द्वारा किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं की जा सकें.

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