पटना: बिहार के युवा लेखक प्रभात बांधुल्य एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. बीते दिनों पिंकी के प्रेम पत्र ने इन्हें सुर्खियों में लाया. वहीं अब इनकी कविता सुर्खियां बटोर रही है. बिहार में जातिगत जनगणना के तहत हर जाति के लिए एक अलग कोड तय किया गया है. इस पर कई लोग अलग-अलग रोचक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. इसी बीच बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले लेखक ने प्यार का कोड जारी करने की मांग करते हुए अपनी कविता सोशल मीडिया पर पोस्ट की है, जो तेजी से वायरल हो रही है.
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वायरल हो रही लेखक प्रभात बांधुल्य की कविता:अपनी कविता में प्रभात कहते हैं 'देखो ई नया एक कोड आ गया है, जात जानने का नया मोड आ गया है. आगे प्रभात अपनी कविता में कहते हैं कि लिखती है फगुनिया अपने चिट्ठी में मेरे यार, सबको तो जता दिया, रास्ता दिखा दिया. जो कोई पूछे कौन जात, तो कोड बता दिया. प्रभात बांधुल्य अपनी इस कविता में सरकार से मांग करते हुए कहते हैं कि लेकिन मेरे प्रिये प्रभात, मांझी के इस राज्य में प्रेम का कोई कोड नहीं और फगुनिया पहुंचे मांझी तक ऐसा कोई मोड नहीं. लेखक ने कहा है कि दशरथ मांझी का बिहार प्रेम का प्रतीक है और मांझी के बिहार में प्रेम का कोड भी होना चाहिए.