पटना: कोरोना के जिंदा मरीज के परिजन को दूसरे की लाश सौंपने के मामले में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. खबर प्रकाशित होने के बाद पीएमसीएच प्रशासन ने मामले की जांच की और लापरवाह अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की. सुपरिटेंडेंट डॉ आईएस ठाकुर ने हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी को सस्पेंड कर दिया है.
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रविवार को पीएमसीएच में एडमिट कोरोना मरीज के परिजन को मरीज के मौत की जानकारी देकर दूसरे की डेड बॉडी थमा दी गई, जबकि मरीज जिंदा था. उसकी सेहत में सुधार हो रहा था. श्मशान घाट पर मुखाग्नि की प्रक्रिया के दौरान जब मरीज के 12 वर्षीय बेटे नीरज कुमार ने पॉलिथीन कवर हटाकर पिता का चेहरा देखा तो पाया कि शव किसी और का है. इसके बाद परिजन आनन-फानन में पीएमसीएच पहुंचे और जमकर हंगामा किया. इस संबंध में सुपरिटेंडेंट डॉ आईएस ठाकुर ने ईटीवी भारत से कहा था कि वे मामले की जांच करा रहे हैं. दोषी अधिकारी पर कार्रवाई होगी.
जिंदा है मरीज
मामला जब सबके संज्ञान में आया और पीएमसीएच में हंगामा बढ़ा तब पीएमसीएच प्रबंधन ने मरीज के एक परिजन को पीपीई किट पहनाकर कोरोना वार्ड में भेजा ताकि वह अपने मरीज को पहचान सके. परिजन ने देखा कि उनका मरीज जिंदा है और हालत में सुधार है. मरीज बाढ़ का रहने वाला है और उसका नाम चुन्नू कुमार है.
चुन्नू की पत्नी कविता देवी ने ईटीवी भारत को बताया कि उसे उम्मीद नहीं थी कि अचानक पति की मौत हो जाएगी. दिन में जब मौत की खबर मिली तो सदमा लगा. घाट पर जब लोगों ने देखा कि शव किसी और का है तो राहत मिली. उन्हें यकीन हो गया कि उनके पति जिंदा हैं. कविता ने कहा "बस अब यही चाहती हूं कि अस्पताल में पति का बेहतर इलाज हो और वह स्वस्थ होकर घर लौटें."
शव देते समय नहीं दिखाया था चेहरा
प्राप्त जानकारी के अनुसार शव हैंड ओवर करने समय परिजनों को चेहरा नहीं दिखाया गया था, जिसके चलते यह गलती हुई. अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में पहले जो वार्ड बॉय थे उन्हें जब संक्रमण के मामले कम हुए थे तब अस्पताल से निकाल दिया गया था. संक्रमण के मामले फिर से तेजी में बढ़े तो वार्ड बॉय की किल्लत हो गई. नए-नए बाहर से वार्ड बॉय हायर किए जा रहे हैं. इन्हें पीएमसीएच में काम करने का अनुभव नहीं है. ऐसे में मरीज को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने में टैग बदल गई और इसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे मरीज का टैग दूसरे मरीज पर चला गया. ऐसे में पीएमसीएच प्रबंधन से गलती हो गई. जिंदा आदमी को मृत घोषित कर दिया गया और उसका डेथ सर्टिफिकेट भी बनाकर जारी कर दिया गया.
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