पटना:किसी जमाने में पीएमसीएच का नाम बिहार ही नहीं बल्कि देश के बेहतरीन चिकित्सा संस्थानों में शुमार किया जाता था. लेकिन कोरोना काल में अब इसकी हालत दयनीय हो चुकी है. संक्रमण के बीच कॉलेज और अस्पताल परिसर में हर तरफ गंदगी का साम्राज्य कायम है. पीएमसीएच की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि यहां इलाज करा रहे मरीज बिहार स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन को पानी पी-पीकर कोसते रहते हैं.
दरअसल, व्यवस्थाओं के अभाव में अस्पताल प्रबंधन ने भी लगभग अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. यहां कोरोना मरीजों के अलावे अन्य मरीजों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. मरीज परेशान होकर स्वस्थ होने की उम्मीद लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. लेकिन उचित इलाज तो दूर, मरीजों को डॉक्टर तक नहीं मिल पा रहे हैं. बीते कुछ दिन पहले भी पीएमसीएच के कोरोना वार्ड में एडमिट कई मरीज के परिजन अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए थे. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब अस्पातल का जायजा लिया तो इलाज में कई अनियमितता देखने को मिली.
'कागजी प्रकिया के नाम पर किया जा रहा परेशान'
शनिवार के दिन पीएमसीएच के अधीक्षक कार्यालय के बाहर मुंगेर से आई एक महिला ने जमकर हंगामा किया. महिला लगातार आरोप लगा रही थी कि पीएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से फेल है. उनके पति को कोई चिकित्सक देख नहीं रहे हैं. महिला ने बताया गया है कि उसके पति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. उसके पति को एनएमसीएच ट्रांसफर कर दिया गया है. एनएमसीएच में शिफ्ट करने के लिए कागजी प्रक्रिया के नाम पर उसे सिर्फ इधर से उधर भटकाया जा रहा है. यहां कोई सुनने वाला नहीं है.
'पैसे की मांग कर रहे अस्पताल कर्मी'
महिला विभा सिंह ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति की हालत काफी खराब है. अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं आ रहा है. उनके पति को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी. जिसके बाद जब उन्होंने अस्पताल के कर्मी को ऑक्सिजन लगाने की बात कही, तो अस्पताल के स्टाफ ने 100 रूपये की मांग की. रुपये देने के बाद उसने ऑक्सीजन लगाया.