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महंगाई की 'कड़वी खुराक' ने मरीजों की बढ़ाई परेशानी, 800 से अधिक जरूरी दवाइयों की बढ़ी कीमतें

पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान आम लोगों को एक और झटका लगा है. अब मेडिसिन के दाम बढ़ गए हैं. जरूरी दवाओं की कीमतें आज से बढ़ गई हैं. ऐसे में पटना वासियों (People reaction on medicine price hike in patna) का कहना है कि हम पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

People reaction on medicine price hike in patna
People reaction on medicine price hike in patna

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Published : Apr 1, 2022, 8:37 PM IST

पटना:आज से देश भर में पेट्रोल, डीजल, गैस और दूध की कीमतों के बाद दवाइयों की कीमतें भी 11% तक बढ़ गई हैं. सामान्य से सामान्य बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाने वाली दवाइयों से लेकर गंभीर बीमारियों की 800 से अधिक दवाइयों की कीमतों (800 medicine rate hike in bihar) में 11% तक की भारी वृद्धि हुई है. साधारण बुखार के लिए पेरासिटामोल से लेकर, सर्दी खांसी की दवाई, एंटी एलर्जी की दवाई, एंटीसेप्टिक दवाएं, गैस की दवाएं, पेन किलर, ब्लड प्रेशर और मधुमेह की दवाइयां सभी (Which medicine became expensive in patna) महंगी हो गई हैं.

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महंगाई की 'कड़वी' डोज:कोरोना काल में सरकार की तरफ से जो एडवाइजरी जारी की गई थी कि विटामिन सी जिनके एंटीबैक्टीरियल आदि दवाइयों को घर में रखना है, यह सभी दवाइयां अब 11% तक महंगी हो गई हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड विटामिन और मिनरल्स की कमी को दूर करने वाली दवाइयां भी इसमें शामिल हैं. भारत मधुमेह और ब्लड प्रेशर के मामले में दुनिया का कैपिटल माना जाता है और इन बीमारियों में उपयोग की जाने वाली दवाइयां भी विभिन्न कंपनियों की 16% तक महंगी हुई है. ऐसे में महंगाई के इस मार से आम गरीब लोग त्रस्त हैं.

लोगों की जेब पर पड़ा असर:पटना की गोविंद मित्रा रोड में अपनी माता के लिए दवाई खरीदने आए मृत्युंजय कुमार ने बताया कि उनकी मां हार्ट की पेशेंट हैं और साल 2019 से उनकी दवाइयां चल रही है. पीएमसीएच से उनका इलाज चल रहा है और जब दवाइयां शुरू हुई थी तो ₹1200 प्रतिमाह दवाई का खर्च आता था. लेकिन अब यह बढ़कर के 2000 तक पहुंच गया है. जिस प्रकार दवा की कीमतों में वृद्धि हुई है यह 2500 तक पहुंच जाएगा और उनके पॉकेट पर आर्थिक बोझ अधिक पड़ेगा.

"हम प्राइवेट कंपनी के सैलरीड लोग हैं. ऐसे में आमदनी बढ़ने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. खर्च में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. महंगाई बढ़ती जा रही है. घर में ब्लड प्रेशर के मरीज भी हैं और प्रति महीने ब्लड प्रेशर के लिए लगभग ₹450 की दवाई खरीदी जाती थी जिसके लिए अब 550 से ₹600 तक खर्च करने पड़ेंगे. दवा की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और कब कम होगा यह कल्पना करना ही मुश्किल हो गया है."- मृत्युंजय कुमार, ग्राहक

दवाइयों के लिए चुकानी होगी ज्यादा कीमत: जीएम रोड में खुद के लिए दवाई खरीदने आए सुरेश प्रसाद ने बताया कि वह मधुमेह और ब्लड प्रेशर के पेशेंट हैं और उन्हें नियमित दवाई खानी पड़ती है. मधुमेह और ब्लड प्रेशर के साथ ही विटामिन की और अन्य कई दवाइयां भी खानी पड़ती है. अभी तक उन्हें प्रतिमाह 2200 रुपये दवाइयों के लिए खर्च करने पड़ता था लेकिन अब प्रतिमाह ₹3000 और उससे अधिक खर्च करने पड़ेंगे.

"मेरे घर में कुछ लोग इंसुलिन लेते हैं और इंसुलिन की भी कीमत बढ़ी है. ऐसे में आर्थिक बोझ ही दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी से काफी बढ़ा है. दवाइयों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. आर्थिक बोझ बहुत बढ़ गया है."-सुरेश प्रसाद, ग्राहक

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केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा: वहीं पटना केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्जुन यादव ने कहा कि दवा की कीमतों में बढ़ोतरी से जो कंज्यूमर हैं और खासकर जो गरीब तबके के लोग हैं उनकी परेशानी बढ़ेगी. संभव है कि पैसे के अभाव में वह 30 दिन के बजाय 25 दिन की ही दवाई खरीदें. उन लोगों को जो रेट में दवाइयां उपलब्ध होगी उसी रेट में बेचेंगे. लेकिन भारत जहां मधुमेह और ब्लड प्रेशर के मामले सर्वाधिक हैं ऐसी जगह पर यदि इनकी दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो गरीब तबके के लोगों के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी.

कीमतों में गिरावट की बजाय बढ़ोत्तरी से परेशान: वहीं ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के सदस्य संतोष कुमार ने बताया कि ओआरएस से लेकर विटामिन की दवाइयां, पेन किलर दवाइयां तमाम उपयोग की 800 से अधिक जरूरी दवाइयों की कीमतों में 11% तक की वृद्धि हुई है. पहले यह होता था कोई भी नया मॉलिक्यूल की दवा आती थी तो मार्केट में आने के बाद 4 से 5 साल में जब उसके रिसर्च का इन्वेस्टमेंट निकल जाता था तो उसकी कीमतों में गिरावट होती थी. लेकिन अब ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है और अब उल्टा हो रहा है कीमतें बढ़ रही हैं.

"दवा कंपनियां पहले से काफी मार्जिन लेकर के बेचती हैं. ऐसे में कीमतें कम होनी चाहिए थी. खासकर मधुमेह और रक्तचाप की दवाइयों की. लेकिन ऐसा हुआ नहीं है और दवाइयों की कीमत में बढ़ोतरी से हर आम जन पर असर हो रहा है. इसका सर्वाधिक असर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर होगा. पैसे के अभाव में लोग दवाइयां नहीं खरीद पाएंगे और उनकी बीमारी गंभीर रूप ले लेगी."- संतोष कुमार, सदस्य, PCDA


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