पटनाः बाढ़ प्रभावित इलाके में फंसे पीड़ितों का सब्र टूटने लगा है. जिनके घर में एक हफ्ते से पानी भरा है. वह ऊंचे स्थानों पर शरण लेने के लिए निकल रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल है पटना सदर प्रखंड से जुड़े दियारा के निचले इलाकों का, जहां घर में बाढ़ का पानी भर जाने से लोग अपने जान-माल की सुरक्षा को लेकर मवेशियों के साथ पटना लॉ कॉलेज के पास रानी घाट में शरण लिए हुए हैं. फिलहाल प्रशासन की ओर से इनके लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है.
पटना लॉ कॉलेज में लिया शरण
बाढ़ पीड़ित दियारावासी अपना घर छोड़ किसी तरह अपनी जान बचाने में लगे हैं. बाढ़ से बेघर हुए दियारा के लोग पटना लॉ कॉलेज के पास रानी घाट के पास अपने मवेशियों के साथ शरण लिए हुए हैं. दियारा के करीब 50 परिवार नदी के इस पार आकर शरण लिए हैं. हालांकि बाढ पीड़ितो की माने तो अभी सैकड़ों परिवार वहां फंसे हुए हैं. पिड़ितो का कहना है कि प्रशासन की ओर से मदद के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है. और ना ही सरकार की ओर से उनकी सुधि लेने कोई आया है. पीड़ितो को खासकर मवेशियों को चारा खिलाने के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
एक-दूसरे से जुड़ने का संपर्क टूटा
दियारा के साथ पंचायतों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है. एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने वाली सड़कों पर बाढ़ का पानी आने से यातायात पूरी तरह बाधित है. तो वही बाढ़ से दियारा में लगे हजारों एकड़ की फसल डूब गई है. ऐसे में कई गांव के लोग पलायन कर चुके हैं और कुछ लोग अभी पलायन करने की तैयारी में हैं. यदि जलस्तर बढ़ने का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो 24 घंटे के अंदर पूरा दियारा जलमग्न हो जाएगा.
मवेशियों के साथ सरण लिए दियारावासी खतरे के निशान बिंदु को पार कर चुकी है गंगा
राजधानी में गंगा खतरे के निशान को पार कर अपने रौद्र रूप में है. लगातार जलस्तर में वृद्धि होने से पटना के आसपास के इलाके में रहने वाले दियारा के लोगों में दहशत हैं.गुरुवार को पटना जिले के गांधी घाट और हथिदह गंगा घाट पर नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर से अधिक पाया गया. केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक हथिदह घाट पर करीब 0.40 सेमी बढ़ गया. घाट पर गंगा का जलस्तर खतरनाक स्तर से 0.01 सेमी जबकि गांधी घाट पर 0.25 सेमी अधिक है.
दियारावासी को मदद की आस
जिला प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है. लेकिन अभी तक दियारावासियों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल पाया है. अपनी जान माल की सुरक्षा को लेकर घाट पर शरण लिए लोग मदद की आस लगाए हुए हैं. अब देखना यह है कि प्रशासन की पहल कब से शुरू होती है जिससे बाढ़ पीड़ितो को सहायता मिल सके.