पटना: भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. इसी कारण यहां सालों भर विभिन्न तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं. सूबे में दशहरा संपन्न होने के बाद लोग अब आने वाले पर्व दीवाली और छठ पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, इस पूजा में डाला और सूप का विशेष महत्व है. कारीगर भी मांग को देखते हुए अभी से ही इसे बनाने में लग गए हैं.
बांस के कतरन से बनता है सूप और डाला
पटना जिले के बाढ़ थाना के सामने सूप-डाला बनाने वाले एक कारीगर ने कहा कि ये हमारा पुश्तैनी काम है. इसके अलावा हमें कुछ और नहीं आता है. इसको बनाने में मेहनत है, लेकिन हमारी साल भर की दाल-रोटी चल जाती है. वहीं, एक अन्य महिला कारीगर का कहना था कि साल में एक बार छठ पर्व को लेकर सूप-डाला बनाने का काम मिलता है. पर्व की समाप्ति के बाद बांस से बने समानों की मांग कम हो जाती है.
'श्रद्धालु अर्घ्य देकर पाते है मनोवांछित फल'
कारीगरों का कहना है सूप पर अर्घ्य देकर श्रद्धालु मनोवांछित फल पाते हैं. हालांकि बांस के दाम में हर साल बढ़ोत्तरी होने से सूप-डाला बनाना महंगा होता जा रहा है. हम लोग पास के जिले लखीसराय से बांस लाते है. इसे कई भागों में अलग-अलग करने के बाद पानी में भिगोया जाता है. जिसके बाद इसे धूप में सुखा कर इसका निर्णाण किया जाता है.
छठ में जातियों के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं
इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इस त्योहार में समाज में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है. सूर्य देवता को बांस के बने सूप और डाले में रखकर प्रसाद अर्पित किया जाता है. इस सूप-डाले को सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं.
दशहरा के बाद छठ की तैयारियों में जुटे लोग बिहार से छठ पूजा का विशेष संबंध
इस त्योहार को बिहार का सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जाता है. हालांकि अब यह पर्व बिहार के अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर भी मनाया जाने लगा है. बताया जाता है कि इस पर्व में सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्ठी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है. सूबे के औरंगाबाद जिले के देव में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है. यहां साल भर दूर-दूर से लोग मनोकामनाओं को लेकर और दर्शन करने आते हैं. कार्तिक और चैत महीने में छठ के दौरान व्रत करने वालों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. ज्योतिषविदों का कहना है कि बिहार में सूर्य पूजा सदियों से प्रचलित है. सूर्य पुराण में इस देव मंदिर की महिमा का वर्णन मिलता है.