पटना:नवरात्र के बाद मां दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन (Maa Durga Idol Immersion) की प्रक्रिया शुरू होती है. लोग नवमी के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा का जल में विसर्जन करते हैं. इस बार लोग गंगा नदी (Ganga River) में मूर्ति विसर्जित नहीं करें इसको लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम ने विशेष तैयारी की.
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घाटों के पास कृत्रिम तालाब बनाए गए और वहां दो-दो दंडाधिकारी की तैनाती कर कंट्रोल रूम बनाया गया. इसका उद्देश्य था कि गंगा नदी में कोई भी कचरा प्रवाहित ना करे और गंगा नदी को दूषित होने से बचाया जा सके. मूर्तियों और पूजा पाठ के सामान में कई प्रकार के केमिकल होते हैं जो नदी के जल को दूषित करते हैं. ऐसे में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी इस बार काफी सख्त है और प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि कहीं भी गंगाजल में पूजा पाठ के समान और मूर्तियों का विसर्जन ना किया जाए. ऐसा करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया जाए.
ऐसे में ईटीवी भारत की टीम जब पटना के दीघा घाट पर पहुंची तो पाया कि लोग पूजा पाठ के तमाम सामान खुले में गंगा नदी में फेंक रहे हैं. अगरबत्ती, धूप बत्ती इत्यादि के पैकेट, हवन सामग्री और पूजन सामग्री पॉलिथीन में बांधकर खुलेआम गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं. पास स्थित कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारी कुर्सियां तोड़ रहे हैं. दीघा घाट पर पर्याप्त संख्या में पुरुष और महिला सुरक्षा बल की भी तैनाती की गई है, लेकिन कोई भी सुरक्षाकर्मी नदी किनारे नजर नहीं आया जो लोगों को गंगा जल दूषित करने से रोक सके.
लोग गंगा नदी में पूजन सामग्री प्रवाहित करने के बाद स्नान भी करने लगते हैं. ऐसे में 3 महिलाएं डूबते-डूबते बचीं. एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस के जवानों ने महिलाओं को बचाया. एसडीआरएफ की टीम हर घाट पर तैनात है. जवान निगरानी कर रहे हैं कि कोई डूबे नहीं. आसपास के लोगों ने कहा कि प्रशासन की टीम शिथिल है. इसका नतीजा है कि कृत्रिम तालाब होने के बावजूद लोग गंगा नदी में पूजन सामग्री का कचरा बेखौफ होकर खुलेआम फेंक रहे हैं. गंगा नदी के किनारे कई टन पूजन सामग्री का कचरा नजर आया. इसमें प्लास्टिक की मात्रा काफी अधिक थी. ऐसे में अब इस पूरे प्रकरण में देखना है कि जिला प्रशासन क्या संज्ञान लेता है और वहां मौजूद अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करता है जो कार्य में शिथिलता बरतते नजर आ रहे हैं.
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