लोगों में वैक्सीन को लेकर क्यों है डर पटना: देश में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. बिहार में कोरोना के रोजाना 3 से 5 नए मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में कुछ महीने पहले जहां एक्टिव मामलों की संख्या शून्य थी, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 21 पहुंच गई है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग कोरोना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हो गया है. कोरोना संक्रमण में वैक्सीनेशन काफी कारगर साबित हुआ है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने 5000 कार्बोवैक्स वैक्सीन का डोज मंगाया है.
किसे मिलेगी प्रिकॉशनरी डोज?: पटना जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर एसपी विनायक ने बताया कि 5000 वैक्सीन का डोज उपलब्ध हुआ है. यह कार्बोवैक्स वैक्सीन है. 12 से 14 साल के बच्चों को पहले और दूसरा डोज का वैक्सीन दिया जाएगा. जो पहले से वैक्सीन के दो डोज ले चुके हैं, उन्हें प्रिकॉशनरी डोज के रूप में यह वैक्सीन दी जाएगी. वहीं 18 प्लस वाले लोग जो 6 महीना अथवा उससे पहले अपनी दूसरी डोज कंप्लीट कर चुके हैं, वह प्रिकॉशनरी डोज के लिए एलिजिबल है.
"पहले आपने कोवैक्सीन या कोविशिल्ड का डबल डोज लिया हो तो प्रिकॉशनरी डोज के रूप में कार्बोवैक्स वैक्सीन ले सकते हैं. यह देखने को मिला है कि यदि फर्स्ट सेकंड अथवा बूस्टर डोज में यदि दो कंपनी का वैक्सीन है तो कोरोना के खिलाफ शरीर में इम्यून सिस्टम और मजबूत हुआ है."- डॉक्टर एसपी विनायक, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, पटना
पटना में यहां ले सकते हैं वैक्सीन: डॉ एसपी विनायक ने बताया कि वैक्सीनेशन के लिए कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वहीं इस बार वैक्सीनेशन के प्रति लोगों का रुझान नहीं दिख रहा है. कार्बोवैक्स वैक्सीन का 20 डोज आया है. पटना में गर्दानीबाग हॉस्पिटल में ही सिर्फ वैक्सीनेशन की सुविधा अभी उपलब्ध की गई है. अब तक एक भी वैक्सीन का वैक्सीनेशन हाल के दिनों में नहीं हुआ है. कम से कम 20 रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही वैक्सीन का वॉयल खोला जाएगा ताकि वैक्सीन का डोज बर्बाद ना हो.
वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में गलतफहमियां:वैक्सीन को लेकर लोगों में गलतफहमी है कि इससे युवाओं में हार्ट अटैक का की संभावना बढ़ गई. इस बात पर डॉ एसपी विनायक ने बताया कि यह सब बिल्कुल बेबुनियाद बात है. करोड़ों लोगों ने वैक्सीनेशन लिया है और हार्ट अटैक की समस्या वाले हजारों की तादाद में ही युवा है. तमाम प्रकार की जांच के बाद ही वैक्सीन उपलब्ध हुआ और रिसर्च चल रहा है इसमें अभी तक कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है. हार्ट अटैक के पीछे अन्य कारण हो सकते हैं. लोगों का स्ट्रेस हो सकता है, उनकी कार्यशैली भी हो सकती है.
वैक्सीन से बढ़े मधुमेह के मामले?: डॉक्टर ने बताया कि मधुमेह के कई कारण हो सकते हैं. पहले से कई तरह के ड्रग ले रहे हैं तो वैक्सीन का साइड इफेक्ट हो सकता है. हालांकि वैक्सीन को लेकर इस प्रकार के भ्रम बिल्कुल गलत है. लाइफस्टाइल, विभिन्न प्रकार के ड्रग्स का सेवन, बॉडीबिल्डिंग सप्लीमेंट्री डायट इत्यादि विभिन्न कारण हार्ट अटैक और मधुमेह की बीमारी के लिए हो सकते हैं.
क्या ले सकते हैं दो तरह की वैक्सीन:वैक्सीनेशन अभियान लॉन्च हुआ तो ग्राउंड लेवल के मेडिकल स्टाफ अथवा वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की गलती की वजह से कई बार फर्स्ट और सेकंड डोज के वैक्सीन में अंतर आ गया. किसी ने पहला डोज कोवैक्सीन का लिया था तो दूसरा डोज कोविशील्ड का लगा लेकिन जब स्टडी की गई तो पता चला कि जिन लोगों ने सेम कंपनी का पहला और दूसरा डोज लिया उसके तुलना में जिन लोगों ने अलग-अलग कंपनी की दो डोज ली है उनका इम्यून सिस्टम कोरोना के खिलाफ मजबूत निकला है.
कोरोना वैक्सीन से बढ़ी बच्चों में आंखों की परेशानी?: डॉक्टर ने बताया कि मेडिकल फील्ड में आए दिन इन सब पर रिसर्च चल रहे हैं और अब तक इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हो पाया है. यह सिर्फ एक भ्रम है. कोरोना ने जीवन शैली पर प्रभाव डाला है और मोबाइल इत्यादि गैजेट्स की आदत बच्चों में अधिक बढ़ी है. इन सब कारणों को भी देखना चाहिए और वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. वहीं पौरुष क्षमता घटने पर उन्होंने कहा कि करोड़ों युवाओं ने वैक्सीन लिया है और उनके बच्चे भी पैदा हो रहे हैं. फर्टिलिटी की क्षमता का कोरोना वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है.
पटना में 30 प्रतिशत लोगों को लगा प्रिकॉशनरी डोज: बता दें कि बिहार में अब तक 157293015 कोरोना वैक्सीनेशन हुए हैं, जिसमें पहले डोज की 73485881 है, दूसरे डोज की 67912592 और प्रिकॉशनरी डोज की 15894542 वैक्सीनेशन हुई है. इसमें 12 से 14 वर्ष के बच्चों में 42 लाख टारगेट बच्चों में फर्स्ट और सेकंड डोज मिलाकर कुल 7691825 वैक्सीनेशन हुए हैं. पटना की बात कर तो पटना में कुल 9562814 वैक्सीनेशन हुए हैं. पटना में प्रिकॉशनरी डोज सिर्फ 30 प्रतिशत टारगेट आबादी का हुआ है.
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