बिहारः जून से ही लोग झेल रहे बाढ़ की मार, खतरा टला नहीं अब भी बरकरार - बिहार की नदियां
बिहार में जून महीने से ही बाढ़ से लोग परेशान हैं. उत्तर बिहार में अभी भी कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर हैं.
बिहार में बाढ़
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Published : Sep 6, 2021, 9:45 PM IST
पटना: बिहार में इस बार जून महीने से ही लोग बाढ़ (Flood in Bihar) का सामना कर रहे हैं. उत्तर बिहार में जून के महीने में अधिकांश नदियां उफान पर थीं. इसके कारण एक दर्जन जिले में बाढ़ से लोग परेशान रहे. बाद में गंगा नदी (Ganga River) उफान के कारण कई जिलों के लोग प्रभावित हुए. अभी भी बिहार की अधिकांश नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर हैं.
नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई बारिश के कारण बागमती और बूढ़ी गंडक उफान पर हैं. वहीं कमला बलान का जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है. कोसी, गंगा और सीमांचल की नदियों में अभी भी जलस्तर काफी अधिक है.
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बाढ़ से परेशान लोगों के लिए सरकार की ओर से दावे तो खूब हो रहे हैं लेकिन विपक्ष का साफ कहना है कि बिहार सरकार भगवान भरोसे बाढ़ पीड़ितों को छोड़ दी है. 16 साल में भी बिहार के लोगों को बाढ़ से डबल इंजन की सरकार निजात नहीं दिला सकी है. इस बीच बिहार सरकार के अनुरोध पर केंद्रीय टीम भी क्षति का आकलन करने पहुंच चुकी है.
उत्तर बिहार में जून महीने में बाढ़ आई थी. हालांकि बाद में नदियों का जलस्तर घटने लगा था. लेकिन अगस्त के अंतिम सप्ताह से उत्तर बिहार की कई नदियों में फिर से दोबारा जलस्तर बढ़ने लगा और इसका बड़ा कारण नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई भारी बारिश रही है. अभी भी कई नदियों में काफी उफान है.
बागमती बूढ़ी गंडक, गंडक, गंगा, कमला बलान, कोसी, अधवारा जैसी प्रमुख नदियों का जलस्तर अभी भी काफी घटा नहीं है. नदियों का उफान कम भी हुआ है तो कई स्थानों पर कटाव तेजी से हो रहा है. चाहे पूर्वी चंपारण हो, भागलपुर हो या अन्य इलाकों में कटाव से संकट बना हुआ है.
'बाढ़ को लेकर पूरी तैयारी की गई थी. लेकिन नेपाल में हुई अत्यधिक बारिश के कारण मुश्किलें बढ़ी हैं. यदि बिहार में समस्या का समाधान रहता तो नीतीश कुमार कब की इस समस्या का समाधान कर देते. लेकिन नेपाल में अत्यधिक बारिश के कारण ही उत्तर बिहार में बाढ़ आता है. हाइडेम बनाने की बात 2004 से हो रही है. ऑफिस भी बनाया गया लेकिन डीपीआर अब तक तैयार नहीं हुआ.' -संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग
विपक्ष की ओर से बाढ़ को लेकर लगातार सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी बाढ़ ग्रस्त इलाकों का पिछले दिनों जायजा लिया था.
'बिहार सरकार बाढ़ पीड़ितों को भगवान भरोसे छोड़ चुकी है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बाढ़ ग्रस्त इलाकों में गए थे तो उसी समय उन्होंने कहा था कि बाढ़ पीड़ितों को मदद नहीं मिल रही है. गरीब परेशान हैं. एनडीए सरकार को 16 साल हो गए. लेकिन बाढ़ से लोगों को निजात नहीं दिला सकी है.'-मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
खतरे का निशान और पिछले 3 दिनों का गंगा का जलस्तर (आंकड़े मीटर में).
घाट
खतरे का निशान
4 सितंबर
5 सितंबर
6 सितंबर
दीघा घाट
50.45
49.61
49.50
49.41
गांधी घाट
48.60
48.59
48.48
48.43
हाथीदह
41.76
42.42
42.27
42.19
बता दें कि बिहार सरकार ने ऐसे बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एसओपी बनाया है. उसी के अनुसार उन्हें मदद पहुंचायी जा रही है. मुख्यमंत्री लगातार खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं. बाढ़ ग्रस्त इलाकों का मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर से भी जायजा लिया है. सड़क मार्ग से भी जायजा लेने पहुंचे थे. नाव से भी उन्होंने जायजा लिया है.
राहत शिविरों को भी जाकर सीएम नीतीश ने देखा है. बिहार सरकार ने केंद्र से भी आग्रह किया था और केंद्रीय टीम क्षति का आकलन करने भी पहुंच गई है. लेकिन इस बार बाढ़ जून से लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है और अभी भी खतरा बना हुआ है.