पटना:बिहार के पटना विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट का एक नोटिस इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल (Patna University Grammatical Error Notice Viral) हो रहा है. यह वायरल नोटिस लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल नोटिस में विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ बीना रानी द्वारा निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के सभी रिसर्च स्कॉलर यानी कि डॉक्टरेट के छात्र अपनी उपस्थिति विश्वविद्यालय में सुनिश्चित करने के लिए प्रतिदिन रजिस्टर में हस्ताक्षर करें. ऐसा नहीं करने पर छात्रों को अनुपस्थित माना जाएगा. यह नोटिस 10 जून को लगाया गया, लेकिन इस नोटिस में काफी ग्रामेटिकल एरर हैं.
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पटना यूनिवर्सिटी की खुली पोल:इस नोटिस की गलतियों को प्रदेश के शिक्षा विभाग के पूर्व मुख्य सचिव संजय कुमार (IAS Sanjay Kumar) ने बीते दिनों अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया और उसके बाद विश्वविद्यालय की केमिस्ट्री डिपार्टमेंट का यह नोटिस वायरल हो गया. लोग कह रहे हैं कि केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष को अंग्रेजी नहीं आती, लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि यह पूरी तरह से क्लर्कियल लेवल पर टाइपिंग मिस्टेक का मामला है. इसका मतलब यह नहीं है कि विभागाध्यक्ष को अंग्रेजी नहीं आती है. मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आने के बाद ग्रामेटिकल एरर वाले नोटिस को हटा कर नया नोटिस लगा दिया गया है.
डीन ने कहा- 'टाइपिंग मिस्टेक का मामला': विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि विभागाध्यक्ष को कभी भी कोई नोटिस डालना होता है तो वह क्लर्कियल लेवल के कर्मचारियों को नोटिस का मोटो और इंफॉर्मेशन में क्या जाएगा समझा देते हैं और क्लर्क जब टाइप करके लाते हैं तो उस पर विभागाध्यक्ष अपना हस्ताक्षर कर देते हैं. विभागाध्यक्ष के पास बहुत सारे काम होते हैं और कई फाइलों पर साइन करना होता है. इसी क्रम में हो सकता है कि केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष ने सही से नोटिस को नहीं पढ़ा होगा और नोटिस को ओवरलुक कर गई होंगी और साइन कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह टाइपिंग मिस्टेक का मामला है. इसका मतलब यह नहीं है कि विभागाध्यक्ष को अंग्रेजी की जानकारी नहीं है.
"नोटिस का ध्येय साफ है कि कोरोना के बाद पठन-पाठन सुचारू हुए हैं तो विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए. स्टडी फ्रॉम होम के कॉन्सेप्ट से हटकर विश्वविद्यालय में आकर पठन-पाठन का कार्य करें. जब मैंने नोटिस को पढ़ा तो पाया कि ग्रामेटिकल एरर उसमें बहुत है. एरर को सुधार करके नया नोटिस लगा दिया गया है और इसे बेवजह तूल देने की आवश्यकता नहीं है." - अनिल कुमार, डीन प्रोफेसर
विभागाध्यक्ष की दलील: उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा अभी तक लिखित रूप से कोई विभागाध्यक्ष से स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया है, लेकिन विभागाध्यक्ष ने कुलपति को इस बात से अवगत करा दिया है कि नोटिस में टाइपिंग एरर हो गई थी. वह इसे सही से नहीं पढ़ पाई. ढेर सारे कागजों पर साइन करने थे और उसी क्रम में उन्होंने साइन कर दिया.
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