पटना:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हाल बिहार में बेहाल है. इस प्रोजेक्ट में पटना को भी शामिल किया गया है, लेकिन पटना कागजों पर ही स्मार्ट बनता नजर आ रहा है.
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पटना को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार ने 2017 में स्मार्ट सिटी लिमिटेड का गठन किया था ताकि शहर को स्मार्ट बनाने वाली परियोजना को सही समय पर धरातल पर उतारा जा सके. पटना के विकास के लिए करोड़ों रुपए आवंटित किए गए, लेकिन जमीन पर काम कम ही हुआ.
आधे-अधूरे हैं प्रोजेक्ट
वर्तमान समय की बात करें तो स्मार्ट सिटी लिमिटेड की तरफ से 5 साल में 5 परियोजना भी धरातल पर उतरती नजर नहीं आ रही है. टेंडर कैंसिल, अनियमितता और एनओसी सहित कागजी प्रक्रियाओं में ही स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट फंसे हैं. वहीं, कुछ प्रोजेक्ट आधे-अधूरे तैयार हो रहे हैं. मेगा स्क्रीन को छोड़कर कोई भी परियोजना पूरी नहीं हुई है.
बदलना था शहर का चेहरा
भारत के शहरों को अत्याधुनिक रूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की थी. 25 जून 2015 को पीएम ने इसकी शुरुआत की थी. देश के कई शहरों को इसके लिए चुना गया था. इसमें बिहार के 4 शहर शामिल थे. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से कई शहरों के चेहरे बदले भी, लेकिन बिहार के चारों स्मार्ट सिटी वाले शहर का हाल बेहाल बना हुआ है.
बनती रही योजना
स्मार्ट सिटी लिमिटेड की तरफ से 2017 में कई प्रोजेक्ट की घोषणा की गई. पहले फेज में 1017 करोड़ की योजनाओं की प्लानिंग की गई. इसमें रेलवे स्टेशन एरिया डेवलपमेंट, डच कैफे, स्मार्ट रोड नेटवर्क, लिटरेचर कैफे, जन सुविधा केंद्र, रोड कम ड्रेनेज (मंदिरी नाला बाकरगंज नाला) मधुबनी पेंटिंग, आईसीसीसी सहित कई प्रोजेक्ट को शामिल किया गया. इसके लिए अलग-अलग बजट भी तैयार किया गया. केंद्र सरकार की तरफ से सभी योजनाओं के लिए राशि भी उपलब्ध की गई, लेकिन इन योजनाओं में जोड़ने, घटाने और कागजी कार्रवाई में ही स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 5 साल लगा दिए.
नाला पाटकर रोड कम ड्रेनेज बनाया जाना था. नाला पाटकर सड़क का निर्माण
मंदिरी नाले को पाटकर रोड कम ड्रेनेज बनाया जाना था. इसके लिए टेंडर भी जारी हुआ, लेकिन 2019 में जलजमाव के बाद इस परियोजना को रद्द कर दिया गया. अब दोबारा इसे स्मार्ट सिटी लिमिटेड में शामिल किया गया है. यही हाल बाकरगंज नाले का भी हुआ. पहले इसे योजना से हटाया गया और बाद में दोबारा शामिल किया गया. मंदिरी नाला के विकास को लेकर जो योजना बनी है उसके लिए 67 करोड़ रुपए खर्च निर्धारित किया गया है. इस पैसे से नाले पर पक्की सड़क का निर्माण किया जाएगा. वहीं, बाकरगंज नाला की बात करें तो इसके विकास के लिए 15 करोड़ से ज्यादा खर्च करने की योजना बनी, लेकिन योजना कागजों पर सिमटती नजर आ रही है. ना मंदिरी नाले पर सड़क का निर्माण हुआ और ना ही बाकरगंज नाले पर. योजना फाइल दर फाइल भटक रही है. एबीडी एरिया में किया गया बदलाव पटना स्मार्ट सिटी की तरफ से प्रोजेक्ट के लिए एबीडी एरिया का चयन किया गया था. इसमें कलेक्ट्रेट परिसर से एग्जिबिशन रोड होते हुए आर ब्लॉक गोलंबर और वीरचंद पटेल पथ होते हुए बांस घाट तक एरिया चयनित किया गया. इसमें बार-बार बदलाव किया गया. अभी तक एबीडी एरिया में काम की शुरुआत नहीं की गई. इसकी वजह से यह योजना भी कागजों पर सिमटी नजर आ रही है. इसे पूरा करने के लिए 2542.62 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं.
आईसीसीसी निर्माण स्मार्ट सिटी का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट आईसीसीसी का निर्माण है. इस बिल्डिंग से ना सिर्फ शहर की पूरी निगरानी की जाएगी, बल्कि यह एक डाटा स्टोरेज सेंटर भी होगा. इसकी टेंडर की प्रक्रिया 2017 में ही की गई, लेकिन अनियमितता के कारण योजना का टेंडर रद्द कर दिया गया. नए सिरे से इसे दूसरी एजेंसी द्वारा संचालित की जा रही है. इस योजना को पूरा करने के लिए 105.90 करोड़ की स्वीकृति मिली है.
जनसेवा केंद्र
शहरवासियों को पटना नगर निगम एक छत के नीचे सभी संसाधन उपलब्ध कराए. इसके लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड की तरफ से जनसेवा केंद्र का निर्माण करवाने की योजना बनाई गई है. 17 करोड़ की लागत से शहर के विभिन्न वार्डों में 9 जन सेवा केंद्र बने हैं. इसके लिए बिल्डिंग तो तैयार हो चुकी है, लेकिन इसके संचालन के लिए एजेंसी का चयन नहीं किया गया है. अप्रैल 2021 तक इसे शुरू करना था. इसकी डेट लाइन भी समाप्त हो गई. शुरुआत में 75 जन सेवा केंद्र के निर्माण का दावा किया गया था, लेकिन इसकी संख्या घटाकर अब 28 कर दी गई है.
अदालतगंज तालाब का सौंदर्यीकरण हो रहा है. अदालतगंज तालाब का सौंदर्यीकरण
शहर वासियों के लिए शहर के बीचो-बीच पिकनिक स्पॉट बने सरकार की इस इच्छा के अनुसार अदालतगंज तालाब का सौंदर्यीकरण का काम अंतिम चरण में है. निर्माण के साथ सजावट के लिए 10 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनी थी. यह योजना लगभग पूरी हो चुकी है.
गांधी मैदान में लगा मेगा स्क्रीन. मेगा स्क्रीन का काम हुआ पूरा
स्मार्ट सिटी लिमिटेड की तरफ से गांधी मैदान में मेगा स्क्रीन लगाने की योजना बनाई गई. इसका मकसद था कि बिहार की संस्कृति और खेलकूद से संबंधित फिल्मों को शहरवासियों को मनोरंजन के तौर पर दिखाया जाए. इसके लिए 6 करोड़ 98 लाख रुपए खर्च करने की योजना बनी. यह स्मार्ट सिटी का पहला प्रोजेक्ट है जो समय पर पूरा हुआ है. 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल माध्यम इसका उद्घाटन किया था. इस मेगा स्क्रीन पर बिहार से जुड़ी सांस्कृतिक फिल्म और खेलकूद से संबंधित फिल्म लोगों को दिखाए जा रहे हैं. इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण मेगा स्क्रीन बंद है.
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