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पटना की रूपाली राज ने बाइस्कोप को फिर किया जीवंत, बोले युवा- 'इसमें बिहार का इतिहास देखना बिल्कुल अनोखा अनुभव है'

Bioscope Show In Patna: नई पीढ़ी के लिए बाइस्कोप किसी अजूबे से कम नहीं है. ऐसे में डिजिटल की चकाचौंध में बाइस्कोप को भूल चुके लोगों को पटना की रूपाली राज एक बार फिर से इससे रुबरु करवा रही हैं. कोरोना काल के दौरान उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर इस मुहिम की शुरुआत की थी. यही वजह है कि सोनपुर मेले से लेकर पटना पुस्तक मेले तक में बाइस्कोप के प्रति लोगों का क्रेज देखने को मिल रहा है.

बाइस्कोप को जीवंत करने की पटना की रूपाली राज की मुहिम
बाइस्कोप को जीवंत करने की पटना की रूपाली राज की मुहिम

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 10, 2023, 6:12 AM IST

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पटना: गांधी मैदान में चल रहे पटना पुस्तक मेले में लोगों को बाइस्कोप काफी आकर्षित कर रहा है. इसका पूरा श्रेय रूपाली राज को जाता है. स्टार्टअप के रूप में रूपाली ने बाइस्कोप का बिजनेस शुरू किया था.

बाइस्कोप से रूपाली कराती हैं लोगों को रुबरू: रूपाली कहती हैं कि लॉकडाउन के समय उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर कुछ नया काम करने का सोचा. अचानक उन्हें बाइस्कोप का ख्याल आया. रूपाली ने बाइस्कोप के बारे में काफी रिसर्च किया और जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ उन्होंने बाइस्कोप का बिजनेस शुरू किया. इसके लिए रूपाली ने 10 बाइस्कॉप के सेटअप कोयंबटूर से मंगवाए.

बाइस्कोप देखने के लिए उमड़ रहे युवा

"लॉकडाउन के समय लोग पुराने दौर को याद कर रहे थे और रामायण महाभारत भी लोगों द्वारा खूब पसंद की जा रही थी. इस समय कुछ स्टार्टअप करने का मन कर रहा था. इसी दौरान बाइस्कोप का ख्याल मेरे जेहन में आया. मेरे पति अमृतराज ने इसमें मेरी पूरी मदद की. विभिन्न फोटो की श्रृंखला के रील तैयार किये और उसे फोटो श्रृंखला को बताने के लिए म्यूजिक तैयार कराया."-रूपाली राज, बाइस्कोप संचालिका

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'दर्जनों की संख्या में बायोस्कोप मशीन तैयार': रूपाली ने आगे बताया कि इसके बाद उन्होंने दर्जनों की संख्या में बायोस्कोप मशीन तैयार कराया. अब विभिन्न आयोजनों में विभिन्न जगहों पर वह अपनी मशीन को ले जाती हैं. बाइस्कोप के माध्यम से बच्चों को उनके इतिहास से चलचित्र दिखाते हुए रूबरू भी कराया जाता है. रूपाली राज ने बताया कि इसके अलावा कई लोग अपने शादी के पुराने एल्बम को बाइस्कोप के माध्यम से देखना पसंद करते हैं.

कैसे काम करता है बाइस्कोप: डिजिटल युग के तकनीकी दौर से पहले किसी जमाने में फिल्मों की प्रदर्शनी बाइस्कोप के माध्यम से ही की जाती थी. बाइस्कोप एक लकड़ी का बक्सा होता है जिसमें कई छिद्र होते हैं. इसमें लेंस लगे होते हैं और उसके भीतर एक रील चल रहा होता है. बाहर से एक व्यक्ति इस रील को घूमाते रहता है और म्यूजिक बजते रहता है. इसी तरह बाइस्कोप में हम दृश्य का आनंद लेते हैं.

बाइस्कोप देखता युवा

मात्र 10 रुपये में एक पूरी फिल्म: वहीं पटना पुस्तक मेला में भी बाइस्कोप की एक मशीन लगी हुई है और यह मशीन लोगों को अनायास अपनी ओर आकर्षित कर ले रही है. ₹10 की दर पर एक पूरी फिल्म दिखाई जा रही है. इसमें बिहार के पर्यटक स्थल, बिहार के इतिहास इत्यादि को दिखाया जा रहा है. पुस्तक मेला में पहली बार बाइस्कोप का आनंद ले रहे ऋतुराज ने बताया कि पहली बार वह इस मशीन को देखे हैं.

"यह रोचक लगा है. इसमें बिहार के इतिहास को बताया जा रहा है. हमें देखकर बहुत मजा आ रहा है. एक चित्र की श्रृंखला चलते जा रही है और आवाज बाहर से आ रही है जो उसके बारे में बता रही है. एचडी स्क्रीन नजर आ रहा है और देखने में अच्छा लग रहा है."-स्थानीय निवासी

सोनपुर मेले में भी बना आकर्षण का केंद्र:रूपाली की मेहनत रंग लाने लगी है. युवाओं में बाइस्कोप की दीवानगी देखने को मिल रही है. सोनपुर मेले में भी बाइस्कोप से लोगों को परिचित कराया गया. बाइस्कोप के जरिए बिहार का इतिहास जानकर युवा खुश हैं. वहीं रूपाली बाइस्कोप के प्रति लोगों का क्रेज देखकर उत्साहित हैं.

बाइस्कोप में देखिए बिहार का इतिहास: पुराने दौर में जब तकनीक का एडवांसमेंट नहीं था, टीवी स्क्रीन नहीं थे, तब जो फिल्में बनाई जाती थी उसका रील तैयार किया जाता था और बायोस्कोप के माध्यम से उसे दिखाया जाता था. हमारे दादा नाना के बचपन के दौर में कुछ इसी प्रकार सिनेमा चला करता था. गांव में किसी सिनेमा का रील आता था, बायोस्कोप का मशीन आता था और उसमें उस रील को फिट कर लोगों को फिल्म दिखाई जाती थी. रूपाली एक बार फिर से उन पुराने दिनों की यादें लोगों के जेहन में ताजा करने में कामयाब हो रही हैं.

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