पटना: कोरोना महामारी को देखते हुए बिहार म्यूजियम और पटना म्यूजियम ने ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन कर अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया. बिहार म्यूजियम द्वारा "द हाइब्रिड म्यूजियम इज इट ए सॉल्यूशन फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो" विषय पर ऑनलाइन पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया जिसमें देश-विदेश के कई लोगों ने हिस्सा लिया.
इस विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई. वहीं, पटना म्यूजियम द्वारा "संग्रहालय एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में" विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया.
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फेसेस पटना द्वारा निर्मित दो लघु मित्र चित्रों का हुआ लोकार्पण
पटना संग्रहालय के अपर निदेशक डॉ. विमल तिवारी ने बिहार म्यूजियम की संग्रहालय अध्यक्ष मौमिता घोष, प्रसिद्ध संग्रहालय विज्ञान और पूर्व निदेशक संग्रहालय बिहार सरकार डॉ. उमेश चंद्र द्विवेदी ने व्याख्यान दिया.
कार्यक्रम में सर्वप्रथम फेसेस पटना द्वारा निर्मित दो लघु मित्र चित्रों का लोकार्पण किया गया. डॉ. विमल तिवारी ने संग्रहालयों के निर्मित होने के इतिहास को बताया. विश्व का पहला संग्रहालय मॉसियम या मुसिओन नाम से अलेक्जेंड्रिया के राजा टोलेमी प्रथम द्वारा 280 ईसवी पूर्व में संस्थान के रूप में निर्मित किया गया था. जिसमें कलाकृतियों के बजाय पुस्तकों का विशाल संग्रह बनाया गया था. यह वास्तव में आधुनिक म्यूजियम की तरह एक सार्वजनिक स्थल ना होकर एक संस्थान था जहां विश्व के महान कवि, साहित्यकार, कलाकार और विद्वान इकट्ठा होते थे.
अतीत के बारे में जानने का माध्यम बना म्यूजियम
आधुनिक म्यूजियम शब्द इसी शब्द से निकला है. आज म्यूजियम कलाकृतियों और पूरावशेषों का संग्रह होने के साथ-साथ शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र साबित हो रहा है. जहां केवल इतिहास और पुरातत्व के छात्र ही नहीं बल्कि आम नागरिक मनोरंजन के साथ अतीत की जानकारी हासिल करते हैं.
डॉ. उमेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि इनके संरक्षण का उत्तरदायित्व सिर्फ सरकार की नहीं है. जब तक आम जनता इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगी, सरकार कुछ नहीं कर सकती.