पटनाःमेट्रो रेल परियोजना राजधानी पटना वासियों के लिए किसी सपने से कम नहीं है. लंबे समय से इंतजार के बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योजना का शुभारंभ तो हुआ लेकिन अब तक परियोजना को गति नहीं दी जा सकी है. केंद्र सरकार से भी अपेक्षित सहयोग हासिल नहीं हो रहा है. क्योंकि इस बार के बजट में भी मेट्रो रेल परियोजना को लेकर केंद्र की सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई.
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22 सितंबर 2020 को हुआ शुभारंभ
पटना मेट्रो रेल परियोजना का प्रस्ताव पर आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय भारत सरकार ने 133 65.77 करोड़ का अनुमोदन प्रदान किया. पटना मेट्रो रेल परियोजना के अनुमोदन के उपरांत मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड का गठन भी हुआ. मेट्रो रेल निर्माण से संबंधित कार्यान्वयन करने के लिए डिपाजिट टर्न पर दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड को दिया गया. 22 सितंबर 2020 को सीएम नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पटना मेट्रो रेल परियोजना का कार्य का शुभारंभ भी किया.
60% राशि लिया जाएगा ऋण
आपको बता दें कि परियोजना में लागत का 20% राशि बिहार सरकार वहन करेगी. वहीं 20% राशि केंद्र की सरकार देगी, और शेष 60% राशि जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी द्वारा ऋण लिया जाएगा.दानापुर-मीठापुर-खेमनीचक तक कोरिडोर वन का निर्माण होगा. इसमें 7.39 किलोमीटर ऊपरी गामी यानी एलिवेटेड होगा. और भूमिगत 10. 5 4 किलोमीटर होगा इस प्रकार कुल 17 .9 3किलोमीटर में कोरिडोर वन बनेगा. वहीं कॉरिडोर टू में पटना जंक्शन-गांधी मैदान-पाटलिपुत्र-आईएसबीटी शामिल हैं. 14.56 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में कुल 6. 63 किलोमीटर ऊपरीगमी और 7.92 किलोमीटर भूमिगत होगा. कोरिडोर वन में जहां 14 स्टॉपेज होंगे, वहीं कोरिडोर टू में भी 14 स्टॉपेज तय किए गए हैं.
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सरकार को तकनीकी परेशानी
भूमिगत स्टेशन डेवलप करने में सरकार को तकनीकी परेशानी आ सकती है. राजधानी पटना में सोन नदी के रिफ्ट हैं, और रुकनपुरा राजा बाजार पटना चिड़ियाघर विकास भवन विद्युत भवन और पटना स्टेशन में भूमिगत स्टेशन बनाए जाने की योजना है. आपको बता दें कि लोहिया चक्रपथ जमीन के अंदर से इसलिए नहीं बनाया जा सका कि तीन से चार बार निर्माण के दौरान धसान की घटना हुई. इन इलाकों में सरकार के लिए भूमिगत निर्माण बड़ी चुनौती होगी.