कोरोना की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार है बिहार? बच्चों की जान बचाना बड़ी चुनौती
तीसरी लहर की चर्चा होती है, जो भविष्य में कभी भी आ सकता है और उसमें बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराने की बात कही जा रही है. तो क्या तैयारी है बिहार में और क्या कुछ कहते हैं इस बारे में मेडिकल एक्सपर्ट. देखिए यह पूरी रिपोर्ट
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Published : May 20, 2021, 9:48 AM IST
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Updated : May 20, 2021, 12:33 PM IST
पटना: कोरोना की पहली लहर झेलने वाले बिहार में दूसरी लहर ने कहर बरपा दिया. आम लोगों के अलावा सांसद, विधायक और डॉक्टरों तक को कोरोना की दूसरी लहर से नहीं बचाया जा सका. बिहार में संसाधनों के होते हुए भी तैयारी नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई. ऐसे में जब तीसरी लहर की चर्चा होती है, जो भविष्य में कभी भी आ सकता है और उसमें बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराने की बात कही जा रही है.
IMA की राय और तैयारी की जरूरत बिहार आइएमए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ विमल कारक ने कहा कि दूसरी लहर में हमने काफी कुछ खोया है. सरकार की तैयारियां उस स्तर पर नहीं है कि हम कोई दावा कर सके कि बच्चों पर अगर मुसीबत आए तो उन्हें बचा लेंगे. सबसे पहले तो पर्याप्त संख्या में NICU और PICU की व्यवस्था करनी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार को अविलंब एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनानी चाहिए ताकि आगे तीसरी लहर को लेकर तमाम व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके. डॉ विमल कारक ने बताया कि बड़ी संख्या में चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर की जरूरत पड़ेगी. सरकार जो नियुक्तियां कर रही है उनमें जो भी बाल रोग विशेषज्ञ हैं उन्हें प्राथमिकता के तौर पर सभी मेडिकल कॉलेजों में तैनात किया जाना चाहिए और वहां NICU और PICU की पार्याप्त बेड वाले फुल प्रूफ अरेंजमेंट करने चाहिए. इसके अलावा जिन निजी अस्पतालों में या अन्य जगहों पर कोविड-19 के लिए 50-100 से ज्यादा बेड बनाए गए हैं उन्हे NICU और PICU के तौर पर भविष्य की जरूरतों के लिए रिजर्व करना चाहिए.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री ? स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहते हैं कि तीसरी लहर के लिए बिहार सरकार पूरी तैयारी में लगी है. राज्य के अंदर स्वास्थ्य की जो आधारभूत संरचनाएं हैं उन्हें लगातार बेहतर करने की कोशिश हो रही है. मंगल पांडे ने कहा कि सभी जिलों में NICU और PICU है. हमने सभी जिला अस्पतालों में बच्चों के लिए SNCU बनाए हैं. बच्चों के लिए अस्पतालों में वार्मर लगाए गए हैं वेंटिलेटर की व्यवस्था भी हो रही है. बीमारी को झेलने के लिए संसाधन तैयार हैं लेकिन महामारी के लिए हमें स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बड़ा और बेहतर करना होगा. जिसके लिए हम लोग आवश्यक कदम उठा रहे हैं.
दूसरे लहर के दौरान की तैयारी एक साल के लिए संविदा पर 1000 डॉक्टरों की बहाली शुरू हो चुकी है. 6000 से ज्यादा नियमित डॉक्टरों के बहाली की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है. कोरोना के दूसरे लहर में ऑक्सीजन की कमी झेलने के बाद बिहार सरकार ने ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना को प्रमोट करने के लिए ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्रमोशन पॉलिसी 2021 को मंजूरी दी है. इस नीति के तहत बिहार में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना के लिए प्लांट और मशीनरी पर ही अधिकतम 30 फीसदी की सब्सिडी मिलेगी. राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण बिहार में 15 जगहों पर मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगा रहा है.
इसमें एक प्लांट की न्यूनतम क्षमता 960 लीटर प्रति मिनट होगी. राज्य के 20 अनुमंडलीय अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं जिनमें से 15 अनुमंडल अस्पताल महुआ, जगदीशपुर, कहलगांव, डुमराव, जयनगर, मसौढ़ी और फारबिसगंज समेत 15 जगहों पर 500 लीटर प्रति मिनट के ऑक्सीजन प्लांट लगेंगे जबकि टेकारी, पूसा, मनिहारी, धमदाहा और पकड़ीदयाल में 200 लीटर प्रति मिनट के प्लांट लगाए जाएंगे. पीएम केयर्स फंड से बिहार के बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, पटना, गोपालगंज, पूर्णिया, पश्चिम चंपारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर, कटिहार, वैशाली, सहरसा, मधुबनी में प्रेशर स्विंग ऐडजॉर्प्शन यानी (PSA) मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना हो रही है. ऑक्सीजन की किल्लत के बीच बिहार के प्रमुख मेडिकल हॉस्पिटल पीएमसीएच, डीएमसीएच और एसकेएमसीएच समेत लगभग सभी मेडिकल हॉस्पिटल अपने परिसर में खुद का ऑक्सीजन प्लांट शुरू कर चुके हैं.
जरूरत है इन बातों की
एक कोऑर्डिनेशन कमिटी बने जो भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयारियों को अंजाम तक पहुंचाए
सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पर्याप्त संख्या में N.I.C.U और P.I.C.U बेड की व्यवस्था
पार्याप्त संख्या में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की सभी सरकारी अस्पतालों में तैनाती
पार्याप्त संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों की सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल और प्राइमरी हेल्थ सेंटर में तैनाती
गांव कस्बों से लेकर शहरों तक बच्चों को कोविड इंफेक्शन से बचाने के लिए सघन जागरूकता अभियान
चाइल्ड स्पेशलिस्टों की राय वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एस ए कृष्ण ने ईटीवी भारत को बताया कि सबसे जरूरी है कि, बच्चों में संक्रमण की पहचान करना ताकि उन्हें बीमारी आगे बढ़ने से पहले संक्रमण मुक्त किया जा सके. उन्होंने कहा कि बच्चे को सर्दी खांसी बुखार या लूज मोशन होने पर तुरंत सावधानी बरतनी जरूरी है और शंका जताते हुए डॉक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए. मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ उत्सव राज ने कहा कि जब सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं तो 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी घर से बाहर ज्यादा नहीं निकल रहे ऐसे में अगर उन्हें कोविड इंफेक्शन होता है तो वह घर के किसी और सदस्य के जरिए हो सकता है. इसलिए ध्यान रखना होगा कि जब भी घर से बाहर निकलें और घर के अंदर आए तो बच्चों से दूरी बनाकर रखें ताकि उन्हें कोई इंफेक्शन ना हो. संभावित थर्ड वेव में बच्चों को बचाने के लिए हमें एक तरफ जहां बच्चों की वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है. वहीं कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करके हम अपने बच्चों को इस खतरनाक महामारी से बचा सकते हैं.