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सड़कों की बदहाली पर पटना HC ने जताई नाराजगी, पूछा- क्या ऐसे होगा बिहार का विकास? - Court asked how tourism will increase

मंगलवार को पटना हाई कोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. दोनों ही मामलों की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने की.

पटना हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
पटना हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

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Published : Feb 18, 2020, 7:56 PM IST

पटना:मंगलवार को पटना हाई कोर्ट कई मामलों पर सुनवाई की. पहले मामले में कोर्ट ने राज्य की तमाम सड़कों की दुर्दशा पर सख्त नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि बगैर अच्छी सड़कों के बिहार का विकास कैसे होगा?

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह और अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने अगली सुनवाई में एनएचएआई को राज्य में राष्ट्रीय उच्च पथों की संख्या और स्थिति का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया है. मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.

कोर्ट ने पूछा कैसे बढ़ेगा पर्यटन?

हाई कोर्ट ने कहा कि बगैर सड़कों की हालत को सुधारे पर्यटन का विकास नहीं हो सकता है. कोर्ट ने पटना-गया रोड की मरम्मती की धीमी गति पर भी नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि अच्छी सडकों का सीधा संबंध पर्यटन स्थलों के विकास और बिहार के लोगों के रोजगार उपलब्ध होने से हैं. दरअसल, कोर्ट को बताया गया कि सोनपुर-छपरा सड़क के लिए भूमि का अधिग्रहण 2008 में ही कर लिया गया था. लेकिन, अब तक सड़क का निर्माण नहीं किया गया है.

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बेकार पड़े टयूबवेल पर सरकार से मांगा जवाब

अन्य मामले में पटना हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न जिलों में सिंचाई के लिए लगाये गये टयूबवेल की खराब स्थिति पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि टयूबवेल बेकार क्यों पड़े हैं. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

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खराब पड़ें हैं 4 हजार से अधिक टयूबवेल

दरअसल, कोर्ट को बताया गया है कि बिहार में सिंचाई के लिए 10 हजार से भी अधिक टयूबवेल कई जिलों में लगाये गये. इनमें बड़ी संख्या में टयूबवेल खराब पड़े हैं. जिस कारण कृषि क्षेत्र में बाधा उत्पन्न हो रही है. जानकारी के मुताबिक 4 हजार से अधिक टयूबवेल बेकार पड़े हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद की जाएगी.

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