पटनाः पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को राहत देते हुए उन्हें अवमानना के मामले में आरोप तय करने हेतु हाजिर होने से मुक्त कर दिया. जस्टिस पीबी बजंथरी की खंडपीठ ने विजेंद्र कुमार सिंह की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पाठक को आरोप तय करने हेतु व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से मुक्त कर दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 23 अगस्त 2023 को होगी.
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क्या है मामलाः यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य में 32540 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़ा है. 2016 में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि उपरोक्त 32540 में जितने भी खाली बची हुई रिक्त सीटें हैं, उन्हें एक बार की प्रक्रिया में भर दिया जाए. उस समय तकरीबन हजार मामले ऐसे थे, जिसमें कई सहायक शिक्षकों की नियुक्तियां फर्जी दस्तावेज के आधार पर हुई थी. हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि फर्जीवाड़े से नियुक्त हुए शिक्षकों के निकालने के बाद वैसी हजार रिक्तियां बची हुई मानी जाएगी. इसीलिए अन्य अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच 3 महीने में करते हुए उन हजार उम्मीदवारों को भरने का निर्देश हाईकोर्ट ने दिया था.
हाईकोर्ट के निर्देश का पालन नहींः गौरतलब है कि इस आदेश के 7 साल होने के बावजूद हाई कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने उक्त आदेश के अनुपालन में एक भी नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया है. गत 25 जुलाई को इसी खंडपीठ ने सरकार के इस रवैया पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपर मुख्य सचिव केके पाठक को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था. आज सोमवार को सुनवाई के दौरान पाठक के वकील नरेश दीक्षित ने कोर्ट को हलफनामा देते हुए बताया कि पिछले 7 सालों में विलंब का कारण विभाग एवं बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के बीच तालमेल की कमी रही.
नियुक्ति पत्र जारी किया गयाःवकील नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि केके पाठक ने जब से कार्यभार संभाला हाईकोर्ट में लंबित मामलों पर कार्यवाही शुरू की है. अधिवक्ता ने बताया कि इस महीने की 6 तारीख को ही जैसे ही आयोग की तरफ से सुयोग्य अभ्यार्थियों के चयन हेतु अनुशंसा मिली, त्योंही अपर मुख्य सचिव ने नियुक्ति पत्र जारी कर दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 23अगस्त 2023 को होगी.