पटना: बिहार में कोरोना महामारी की बढ़ती समस्या को लेकर अभी तक की गई कार्रवाई पर पटना हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Patna High Court Chief Justice Sanjay Karol) की डिवीजन बेंच ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के हलफनामा में विरोधाभास पाया. कोर्ट ने राज्य सरकार को नए सिरे से हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है.
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कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार के हलफनामा को विरोधाभासी बताते हुए उससे जानना चाहा कि एक ओर जहां आप अपने हलफनामा को सही ठहराते हैं, वही एक स्थानीय अंग्रेजी अखबार में छपे समाचार को भी सही बता रहे हैं, जबकि दोनों में अंतर है. अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में स्थापित 62 पीएस ऑक्सीजन उत्पादक प्लांट और 'पीएम केयर्स फण्ड' के अंतर्गत स्थापित किये गए प्लांट में से एक तिहाई से भी ज्यादा प्लांट चालू होने की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं.
23 दिसंबर 2021 को बिहार के ऑक्सीजन प्लांट को चालू करने को लेकर एक मॉक ड्रिल किया गया था. इसके बाद बिहार के ऑक्सीजन प्लांटों में गड़बड़ियां (Disturbances in Oxygen Plants of Bihar) पाईं गईं थीं. इनकी जानकारी केंद्र सरकार को भी दी गई थी. ये गड़बड़ियां ऑक्सीजन की शुद्धता व लीकेज समेत अन्य मुद्दों को लेकर थीं. 4 प्लांट में प्रेशर और लीकेज की समस्या थी, वहीं 7 प्लांट में कंप्रेशर की समस्या थी. 20 प्लांट में वाइट डस्ट, लीकेज और ज्यादा गर्म हो जाने की समस्या थी. राज्य सरकार द्वारा प्लांट चालू करने को लेकर भारत सरकार से कुशल कर्मियों की मांग भी की गई.
जहां दरभंगा के बेनीपुर स्थित ऑक्सीजन प्लांट, मुंगेर स्थित जिला अस्पताल, पटना के आईजीआईएमएस, वैशाली के महुआ में स्थित अनुमंडलीय अस्पताल, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, नालंदा और पश्चिमी चंपारण स्थित प्लांट में ऑक्सीजन की शुद्धता की समस्या थी. वहीं, गया के टेकारी, पूर्णिया के जिला अस्पताल, रोहतास के बिक्रमगंज, मधुबनी, नालंदा व कैमूर में स्थित प्लांटों में लीकेज की समस्या पाई गई थी.
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बताया कि राज्य के अन्य स्थानों पर स्थित ऑक्सीजन प्लांट अच्छी तरह से कार्यरत हैं. उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि जो भी कठिनाइयां सामने आई हैं, उसे दूर कर लिया जाएगा. इस मामले पर आगे की सुनवाई 24 जनवरी 2022 को की जाएगी.
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