पटना: बिहार सरकार ने नए वर्ष में बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2022 जारी कर बिहार नगरपालिका से जुड़े जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को छीनकर मेयर और डिप्टी मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव (Election of Mayor and Deputy Mayor) की व्यवस्था करवा दी है. इस मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि इस नए अध्यादेश से शहरी स्वायत्त शासन के शक्तियों के विकेंद्रीकरण की जगह केंद्रीयकरण करके मनमाने तरीके से कार्य करने के लिए रास्ता साफ कर दिया गया है.
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अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि संशोधन के जरिये अब शहरी निकायों के चुनाव (Urban Body Elections) के तहत मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव वार्ड पार्षदों द्वारा किए जाने के प्रावधान को खत्म कर प्रत्यक्ष मतदाताओं द्वारा चुनाव कराने की व्यवस्था की गई है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट समेत अन्य न्यायालयों ने अध्यादेश द्वारा कानून बनाए जाने की प्रक्रिया की घोर भर्त्सना की है. इतना ही नहीं, हाल ही में चल रहे बिहार विधान मंडल के सत्र के समय इसे नहीं लाया गया, जो संवैधानिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है.
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योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि किसी भी कानून निर्माण की प्रक्रिया के लिए यह आवश्यक होता है कि उसके सामाजिक और राजनैतिक प्रभाव के साथ-साथ संवैधानिक वैधता पर गहन विचार किया जाए. प्रभावित व्यक्तियों से भी विचार-विमर्श किया जाना चाहिए. इसके अलावे बिहार विधान मंडल के समक्ष विस्तृत चर्चा करवाकर कानून का रूप दिया जाना चाहिए. इस प्रक्रिया की उपेक्षा करके इस तरह का अध्यादेश लाना सुप्रीम कोर्ट समेत अन्य न्यायालयों द्वारा जारी किये गए दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है.
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