पटना : हाईकोर्ट के वरीय जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह (Justice Chakradhari Sharan Singh)ने एक महत्वपूर्ण तथ्य को इंगित करते हुए कहा कि करोना काल की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत है. उन्होंने ने चीफ जस्टिस संजय करोल को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के समय से चली आ रही एसओपी (Standard Operating Procedures in Court) को अब तक जारी रखने की अब कोई औचित्य और आवश्यकता नहीं प्रतीत होती है.
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जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने कहा कि अदालती कार्यवाही से आम जनता एवं वादियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि पुनः कोई असाधारण परिस्थियां उत्पन्न न हो जाएं. उन्होंने कोरोना की स्थिति में नियंत्रण के सन्दर्भ में ये बातें कहीं. उन्होंने 9 महीने पुराने स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर के सम्बन्ध में कहा कि किसी भी कोर्ट के पास वादियों या आम जनता को कार्यवाही देखने से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालती कार्यवाही में वादी के प्रवेश अधिकार को रोकने से अदालती कार्यवाही में भी अस्पष्टता पैदा होती है, जो खुली अदालत की कार्यवाही के सिद्धांत के विपरीत है.
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया 21.02.2022 से प्रभावी एसओपी के अनुसार हाईकोर्ट के कामकाज के संबंध में कहा कि यह उनका एक विचार मात्र है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाईकोर्ट के कामकाज के मामले में चीफ जस्टिस का निर्णय सर्वोपरि और अंतिम होता है.