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हाईकोर्ट की फटकार के बाद शिक्षा विभाग की खुली नींद, जिलों से 23 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट - Patna High Court reprimanded the Education Department

फर्जी शिक्षकों के मामले में पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को तगड़ी फटकार लगाई है. हाईकोर्ट के तल्ख टिप्पणी के बाद प्रदेश का शिक्षा विभाग नींद से जागा है. जिस कारण उन्होंने संबंधित जिलों से 23 दिसंबर तक रिपोर्ट तलब किया है.

पटना
शिक्षा विभाग को हाई कोर्ट की फटकार

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Published : Dec 17, 2020, 1:32 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 3:20 PM IST

पटना: प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के मामले में पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को कड़ा निर्देश जारी किया है. शिक्षा विभाग ने 23 दिसंबर तक पूरी रिपोर्ट जिला शिक्षा पदाधिकारियों से मांगी है. ताकि फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच हो सके.

हाईकोर्ट में 9 जनवरी को अगली सुनवाई
सूबे में कई सालों से सभी नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच चल रही है. पटना हाई कोर्ट के आदेश पर ही निगरानी पूरे मामले की जांच कर रहा है. लेकिन अब तक एक लाख दस हजार नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र निगरानी विभाग को सौंपे नहीं गए हैं. इसे लेकर पटना हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. उच्च न्यायालय की नाराजगी के बाद शिक्षा विभाग ने संबंधित जिलों से शेष सभी प्रमाण पत्र जल्द से जल्द सौंपने का निर्देश जारी किया है.

शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि संबंधित शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशिक्षण प्रमाण पत्र निगरानी के नोडल पदाधिकारी को उपलब्ध कराएं. साथ ही 23 दिसंबर तक हर हाल में इसकी पूरी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजें. शिक्षा विभाग ने कहा है कि पंचायत और प्रखंड नियोजन इकाई के सचिव और निगरानी विभाग के प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी के साथ शिक्षा विभाग के जिला और प्रखंड के अधिकारी अविलंब संयुक्त बैठक करें. अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रमाण पत्र निर्माण विभाग को तुरंत उपलब्ध हो जाएं. इस मामले में हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 9 जनवरी को होनी है.

फर्जी सर्टिफिकेट पर कर रहे नौकरी
बता दें कि बिहार में बड़ी संख्या में नियोजित शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं. निगरानी विभाग की जांच के दौरान अब तक 1132 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं. इस मामले में 419 प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है. 110000 अन्य शिक्षकों के प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण जांच में देरी हो रही है. साल 2015 में निगरानी विभाग को शिक्षक नियोजन में चयनित शिक्षकों के फर्जी छात्रों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिसके बाद सभी शिक्षकों के एक-एक प्रमाण पत्र की जांच संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों के माध्यम से कराई जा रही है.

Last Updated : Dec 17, 2020, 3:20 PM IST

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