पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के ग्राम पंचायत गंगवारा बुज़ुर्ग अंतर्गत मेहसौल गांव में स्थानीय प्रशासन द्वारा एक कचरा प्रबंधन इकाई (डब्ल्यूपीयू) के निर्माण को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय ने बिहार सरकार को ये बताने को कहा कि क्या डब्ल्यूपीयू बनाने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति ली गई थी?
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कोर्ट ने सरकार को दी 4 हफ्ते की मोहलत : सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट से सरकार का पक्ष रखने के लिए चार हफ्ते का समय दिये जाने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. याचिकाकर्ता सुरेंद्र राउत की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना इस डब्ल्यूपीयू का निर्माण नहीं कराया जा सकता है. साथ ही यह मामला पूर्व से लंबित है. ऐसे में उसका निर्माण कार्य कैसे प्रारंभ कर दिया गया.
घरों के नजीदक कूड़ा घर बनाने से दिक्कत : उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रस्तावित स्थल, जहां परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है, वहां से करीब सौ फीट की दूरी पर सड़क के दोनों किनारे लगभग 50 परिवारों का घर है. ऐसे में आबादी वाले इस इलाके में कूड़ा-करकट हौज बनाए जाने से गंदगी और दुर्गंध के कारण इसके समीप बसे लोगों का अपने अपने घरों में रहना मुश्किल हो जाएगा. प्रस्तावित स्थल पूर्व से सरकारी नक्शे में रास्ते की जमीन है. उसे उक्त डब्ल्यूपीयू का निर्माण कराए जाने से इलाके के किसानों का रास्ता बंद हो गया है. इससे उनके कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
4 हफ्ते बाद होगी इस मामले पर सुनवाई: उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि ग्रामीणों द्वारा इसको लेकर लिखित तौर पर शिकायत राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव, जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी, उपविकास आयुक्त, सीतामढ़ी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, रुन्नीसैदपुर एवं अंचल अधिकारी, रुन्नीसैदपुर को पूर्व में दी गयी थी. पर अबतक योजना के प्रस्तावित स्थान को नहीं बदले जाने से ग्रामवासी अपने वासस्थल के समीप कूड़ा-करकट हौज बनाए जाने के कारण तनाव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी.