पटना : राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्टमें 4 मई 2023 को सुनवाई की जाएगी. अखिलेश कुमार की याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने कहा कि ये सर्वेक्षण कराने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है.
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'जातीय जनगणना कराने का अधिकार केंद्र के पास': उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि ये राज्य सरकार के क्षेत्रधिकार में नहीं आता है. उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है.
500 करोड़ खर्च कर रही राज्य सरकार: एडवोकेट दीनू कुमार ने बताया था कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है. राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ने इसकी सुनवाई की योग्यता पर बुनियादी आपत्ति की थी. उन्होंने कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. कोर्ट ने इसे अमान्य करते हुए कहा था कि ये प्रावधानों के उल्लंघन और पांच सौ करोड़ रुपए से सम्बंधित मामला है.
4 मई को होगी सुनवाई: कोर्ट ने इस मामले पर 4 मई 2023 को सुनवाई की नई तिथि निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की ओर से दीनू कुमार व ऋतु राज और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत कर रहे हैं. बता दें कि बिहार में 215 जातियों का कोड बनाकर जातीय जनगणना की जा रही है. 15 मई तक दूसरे चरण की जनगणना पूरी करने की तिथि निर्धारित की गई है.