पटना :राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कॉलेजों की ओर से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) यानी यूजीसी को उपयोगिता प्रमाण-पत्र नहीं देने के मामले पर पटना हाईकोर्ट( Patna High Court) ने सख्त रुख अपनाया. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जो धनराशि कॉलेजों को दी जाती है, इसकी जिम्मेदारी किसी के स्तर से नहीं लेना गंभीर मामला है.
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कॉलेजों को बहुत पहले यूजीसी ने दिया था अनुदान : कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों के वीसी और यूजीसी को हलफनामा दायर कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण-पत्र यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. यूजीसी उसके बाद एक सप्ताह में कार्रवाई करेगा. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रितिका रानी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अंगीभूत और सम्बद्धता प्राप्त कॉलेजों की संख्या 325 है. इन कॉलेजों को काफी पहले यूजीसी ने जो अनुदान दिया था, उसका बहुत सारे मामलों में अबतक उपयोगिता प्रमाण- पत्र नहीं पेश किया गया है.
124 करोड़ रुपये का अब तक नहीं मिला हिसाब :उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न कॉलेजों की ओर से 124 करोड़ रुपये की उपयोगिता का प्रमाण पत्र यूजीसी को पेश नहीं किया गया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कॉलेजों की ओर से दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण- पत्र नहीं जमा किए गए तो संबंधित वीसी का वेतन रोक दिया जाएगा.कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि कॉलेजों की ओर से निर्धारित परफॉर्मा पर उपयोगिता प्रमाण- पत्र नहीं दिए गए, तो इसकी जांच कोर्ट कमिश्नर से कराई जा सकती है. इस मामले पर अगली सुनवाई 8 सितम्बर, 2022 को होगी.
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