पटना: पटना हाईकोर्ट ने अवैध रूप से जमीन से बेदखल कर चारदीवारी बनाने के मामले पर सुनवाई करते हुए भागलपुर के सीओ को नव- निर्मित दीवार ध्वस्त कर याचिकाकर्ताओं का कब्जा वापस बहाल करने का निर्देश दिया. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुभाष कुमार चौधरी एवं मनीष कुमार की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
याचिकाकर्ता ने जमीन पर कब्जा दिलाने की लगाई थी गुहार : याचिकाकर्ताओं ने अपने जान माल की सुरक्षा, जमीन पर कब्जा पुनः बहाल करने एवं प्रतिवादियों को अवैध रूप से प्रशासनिक सहायता दिए जाने के विरुद्ध याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं द्वारा कोर्ट को बताया गया कि बगैर किसी अदालती आदेश के पचास पुलिस कर्मियों ने प्रतिवादियों की मेल में आकर उन्हें उनकी जमीन से बेदखल कर दिया.
अपराधियों ने लूट लिया था जनरल स्टोर : साथ ही स्थानीय अपराधियों और मजदूरों की उपस्थिति में उनके जनरल स्टोर में रखा पूरा सामान भी लूट लिया. फिर जबरन एक दीवार खड़ी कर दी गई, जिसके कारण याचिकाकर्ताओं और उनके परिवार के सदस्यों को उनके आवासीय घर से मुख्य सड़क तक प्रवेश और निकास से वंचित कर दिया गया. हाई कोर्ट ने भागलपुर के डीआईजी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उस जगह से जहां से सामान हटाया गया था, याचिकाकर्ताओं का कब्जा बहाल किया जाए और संबंधित थानाध्यक्ष के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए.
डीआईजी को दी गई जिम्मेदारी : कोर्ट ने कहा कि डीआईजी, भागलपुर की जांच रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि संबंधित पुलिस स्टेशन के थानाध्यक्ष पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए थे, जबकि माप की निगरानी करने और शेड से सामान हटाने के लिए कोई मजिस्ट्रेट नियुक्त नहीं किया गया था. इस तरह याचिकाकर्ता को विवादित क्षेत्र से बेदखल कर दिया गया था. कोर्ट ने पाया कि थानाध्यक्ष निष्पक्षता बनाए रखने में विफल रहे थे.
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