पटना: बिहार की पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए खुद को 'हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस' बताकर अपने मोबाइल से राज्य के डीजीपी और अन्य वरीय अधिकारियों को मोबाइल व व्हाट्सएप कॉल करने वाले आरोपी अभिषेक अग्रवाल को नियमित जमानत दे दी. जस्टिस सुनील कुमार ने जमानत याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद ये आदेश पारित किया.
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अभिषेक पर क्या थे आरोप?: इन पर अपने को चीफ जस्टिस बताकर एक आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार के पक्ष में प्रशासनिक निर्णय लिए जाने का दबाव बनाने का आरोप था. अभिषेक अग्रवाल द्वारा दायर जमानत याचिका पर वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और आर्थिक अपराध इकाई के अधिवक्ता राणा विक्रम सिंह को सुनने के बाद ये निर्देश दिया.
कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील की दलील: कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ता को एक साजिश के तहत फंसाया गया है. उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. जिस सिम का उपयोग किया गया है, वह ना तो इनके नाम से है और ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य के नाम से था.
'बिना वॉइस जांच के बनाया गया आरोपी' : मिश्र ने कोर्ट को बताया कि आवाज जांच के बिना ही इस मामले में याचिकाकर्ता को अभियुक्त बना दिया गया है. उन्होंने बताया कि ना तो इस मामले से और ना ही संबंधित आईपीएस अधिकारी से इनका कोई लेना-देना है. बावजूद इसके इन्हें इस मामले में अभियुक्त बना कर जेल भेज दिया गया. गौरतलब कि आर्थिक अपराध इकाई के डीएसपी भास्कर रंजन द्वारा इस मामले की जानकारी मिलने पर प्रारंभिक जांच कर एक प्राथमिकी आर्थिक अपराध इकाई में 15 अक्टूबर 2021-22 को दर्ज कराया गया था.
'साजिश के तहत फंसाया गया' : इसमें आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता एवं इनके साथ अन्य लोगों ने एक साजिश के तहत राज्य के एक आईपीएस अधिकारी, जिनके खिलाफ अपराधिक मामले एवं अन्य मामले में जांच चल रही थी, उनके पक्ष में आदेश पारित करने एवं उनके खिलाफ चल रहे मामले को बंद करने का दबाव राज्य के डीजीपी और अन्य वरीय अधिकारियों पर डाला गया. इसमें चीफ जस्टिस के नाम का गलत उपयोग कर बनाया गया. जांच में यह भी पता चला कि जिस मोबाइल नंबर से फोन किया गया, वह मोबाइल नंबर चीफ जस्टिस का नहीं था.
अभिषेक को मिली नियमित जमानत: केवल उस पर जो डीपी लगा था, वह चीफ जस्टिस का था. इसी मामले में प्रारंभिक जांच कर याचिकाकर्ता समेत अन्य को अभियुक्त बनाया गया है. इस जमानत याचिकाओं पर वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा व अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा और आर्थिक अपराध इकाई की ओर से कोर्ट के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत किया.