पटना: चर्चित मनोज कमालिया हत्याकांड के दो सजायाफ्ता दोषियों कोपटना हाईकोर्टने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह व जस्टिस नवनीत कुमार पांडे की खंडपीठ ने अफसाना अजीम और सूरज कुमार की अपीलों को मंजूर करते हुए आज यह फैसला सुनाया. अपीलार्थी अफसाना अजीम एक कमर्शियल टैक्स अफसर थी. उस पर यह आरोप था कि उसकी मनोज के साथ आपसी अदावत के कारण उसने किसी मौलवी के साथ मिलकर मनोज की हत्या का षड्यंत्र रचा था. उसे मारने के लिए सुल्तान मियां को सुपारी दी थी.
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आरोपियों के खिलाफ 2005 में ट्रायल शुरू हुआ था:बताया जाता है कि सूरज पर यह आरोप था कि उसने मनोज पर गोली चलाने वाले सुल्तान मियां और छोटका संतोष दो अन्य अपराधियों का साथ दिया था. मनोज की गोली मारकर हत्या दो सुपारी किलर सुल्तान मियां और छोटका संतोष ने 17 अप्रैल की सुबह उस समय हमला किया जब वे बैडमिंटन खेलने मंगल तलाब स्थित हितैषी लाईब्रेरी की ओर जा रहे थे. दोनों अपीलार्थियों के खिलाफ पुलिस ने अक्टूबर 2002 मे आरोप पत्र दाखिल किया था. सभी आरोपियों के खिलाफ 2005 में ट्रायल शुरू हुआ था.
सितम्बर 2015 में दोनों को कोर्ट ने दोषी पाया था:सितम्बर 2015 में दोनों आरोपियों को पटना के एडीजे तृतीय के न्यायालय ने हत्या कांड में संलिप्त पाते हुए दोषी करार दिया और उन्हे आजीवन कारावास की सजा सुनाया था. हाईकोर्ट ने अभियोजन के साथ में गंभीर गड़बड़ी पाते हुए देखा कि इस मामले में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर तक का परीक्षण अभियोजन ने नहीं किया है. कई अभियोजन के गवाह केवल सुनी सुनाई बातों पर बयान दिए थे. अतः पूरे अब अभियोजन के गवाहों में गंभीर गड़बड़ी पाते हुए उसके संदेह का लाभ हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के पक्ष में दिया और उन्हें बरी कर दिया.