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पटना: शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मंदिर का हो रहा सौंदर्यीकरण, 5 से 6 करोड़ तक होंगे खर्च

मुख्यमंत्री से लेकर बिहार के सभी जनमानस से महंथ विजय शंकर गिरी और पटना की मेयर सीता साहू ने अपील कर कहा कि शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मन्दिर के सौंदर्यीकरण में सहयोग करें, क्योंकि देश के 51वें शक्तिपीठों में से एक है माता का मंदिर. उन्होंने दक्षिण भारत की तर्ज पर मन्दिर बनाने की मांग की.

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शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मन्दिर का सौन्दर्यकर्ण

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Published : Dec 2, 2020, 10:25 AM IST

पटना: पटनासिटी के आलमगंज स्थित शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मंदिर का सौंदर्यीकरण जीणोद्धार का कार्य कार्तिक पूर्णिमा के दिन से आरंभ हो गया है. जिसको लेकर मंदिर के गर्भगृह में विराजी भगवती को निर्माण कार्य पूर्ण होने तक मंदिर में दूसरे स्थान पर स्थापित कर दर्शन व पूजन का अनुष्ठान करा दिया गया है. जहां मंदिर के महंत विजय शंकर गिरी ने बताया कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भगवती को फिर से गर्भगृह में ही विराजमान कर दिया जाएगा.

मंदिर के सौंदर्यीकरण में 5 से 6 करोड़ होंगे खर्च
महंत जी ने बताया कि मंदिर के जीणोद्धार कार्य मकराना पत्थर से कराया जाएगा जिसकी खर्च लागत लगभग 5 से 6 करोड़ तक आएगी. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व जनसहयोग के लिए योजना बनाई जा रही है. महंत विजय शंकर गिरी का कहना है कि मकराना पत्थर का इस्तेमाल कर छह गुम्बद का निर्माण कराने के साथ 51 फुट ऊंचे मंदिर का निर्माण किया जाएगा.

महंथ विजय शंकर गिरी और पटना की मेयर सीता साहू

गुलजारबाग स्टेशन का नाम बदलकर पटनेश्वरी धाम रखने की मांग
पटना की महापौर सीता साहू का कहना है कि लगभग 2 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर आने वाले सड़क, लाइट व आसपास के क्षेत्र के सौंदर्यीकरण कराने की भी योजना है. बताया जाता है कि जिस मकराना के संगमरमर से मंदिर के निर्माण की योजना है उस पत्थर का रंग नहीं बदलता है. वहीं पटना की महापौर सीता साहू ने शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मंदिर के नजदीक स्थित गुलजारबाग स्टेशन का नाम बदलकर पटनेश्वरी धाम रखने के लिए बिहार सरकार से गुजारिश की है.

पेश है रिपोर्ट

आदिकाल से शक्तिपीठ में पूजा होती आ रही है
शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी के महंत विजय शंकर गिरि ने बताया कि सैकड़ों वर्ष प्राचीन मंदिर में सती का दक्षिण जंघा कटकर गिरा था. यहां भगवती का रूप सर्वानंदकारी तथा भैरव व्योमकेश हैं. यहां महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी की प्रतिमाएं एक साथ पूजनीय हैं.

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