पटना: राजधानी के बेली रोड पर 600 करोड़ से अधिक की लागत से बना बिहार म्यूजियम इन दिनों टिकट घोटाले और नियुक्ति घोटाले को लेकर चर्चा में है. इस मामले में म्यूजियम के निदेशक मोहम्मद युसूफ से सरकार इस्तीफा ले चुकी है और मो. युसूफ इन दिनों भोपाल में है. वहीं, सरकार इस पूरे मामले की जांच भी करवा रही है. ये पूरा विवाद मोहम्मद यूसुफ के टिकट घोटाले को लेकर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराने से शुरू हुई. जिसके बाद मो. युसूफ पर भी नियुक्ति घोटाला करने का आरोप लगा.
5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार म्यूजियम ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और इसी कारण कई तरह के विवादों के बावजूद नीतीश कुमार ने इस म्यूजियम का निर्माण करवाया. इस पर 600 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. हालिया म्यूजियम का विवाद तब शुरू हुआ जब तत्कालीन निदेशक मोहम्मद यूसुफ ने टिकट छापने में 5 करोड़ के घोटाले करने का आरोप लगाकर 5 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाना में केस दर्ज करवाया.
इन लोगों पर मामला दर्ज
मोहम्मद यूसुफ ने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया, उसमें संग्रहालय अध्यक्ष संग्रह मौमिता घोष, पूर्व अपर निदेशक जयप्रकाश नारायण सिंह, संग्रहालय अध्यक्ष इतिहास रणवीर सिंह राजपूत, पूर्व आउट सोर्स आईटी मैनेजर सुमित कुमार और पूर्व लेखापाल योगेंद्र प्रसाद पाल शामिल थे. सितंबर के पहले सप्ताह में केस दर्ज कराया गया और उसके बाद मोहम्मद यूसुफ लंबी छुट्टी पर चले गए. इसके बाद मोहम्मद यूसुफ ने मौमिता घोष को बर्खास्त भी कर दिया था. हालांकि, कला संस्कृति विभाग ने उनकी बर्खास्तगी को निरस्त कर दिया और विभाग के एडीशनल सिक्योरिटी दीपक आनंद ने मोहम्मद यूसुफ पर नियुक्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप भी लगाया. जिसके बाद मो. यूसुफ को बिहार म्यूजियम से हटा दिया और उनकी सेवा विकास आयुक्त के कार्यालय में दे दी. जब निदेशक लंबी छुट्टी के बाद लौटे तो उन्हें म्यूजियम में ज्वाइन नहीं करने दिया गया और बाद में दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा ऐसे पूरे मामले की जांच चल रही है.