पटना:पटना एम्स (Patna AIIMS) में शुक्रवार को रेट्रोपरिटोनियल ट्यूमर (Retroperitoneal Tumor) का बड़ा सर्जरी संपन्न हुआ. मरीज के पेट से 2Kg का रेट्रोपरिटोनियल ट्यूमर डॉक्टरों ने बाहर निकाला. 61 वर्षीय मरीज छपरा जिले का रहने वाले हैं. सर्जरी के बाद अब मरीज के हालत में काफी सुधार है. इस जटिल सर्जरी को करने के लिए पटना एम्स में ट्रामा के एचओडी डॉ अनिल कुमार (Dr. Anil Kumar, HOD of Trauma) के नेतृत्व में पांच सर्जन की टीम शामिल रही और एनेस्थीसिया की टीम (Anesthesia Team) भी शामिल रही.
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कई डॉक्टरों की टीम ने किया ऑपरेशन
बता दें कि टीम में डॉ अनिल कुमार, डॉ शिव, डॉ राहुल रंजन, डॉ हरि प्रसाद, डॉ अतुल, डॉ जीजोएंटो और एनेस्थीसिया से डॉक्टर अजीत शामिल रहे. सर्जिकल टीम के डॉक्टरों ने बताया कि अगर किसी के पेट में कोई गांठ या दर्द हो तो जितनी जल्दी हो सके जांच करानी चाहिए. क्योंकि कुछ गांठ बिना दर्द का होता है और ऐसी परिस्थिति में मरीज को अधिक सजग रहने की आवश्यकता है.
गांठ को न करें नजरअंदाज
डॉक्टरों ने बताया कि बिना दर्द वाली गांठ धीरे-धीरे बड़ी होने लगती है. जब यह बड़ा होने लगता है तो आसपास के ऑर्गन को डैमेज करने लगता है. शुरुआत में इसकी जांच अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) कर चेक की जाती है और विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए सीटी स्कैन (CT Scan) की जाती है. सर्जरी के माध्यम से मरीज का ट्यूमर निकाला जाता है. वहीं सर्जरी के बाद मरीज को कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भी दी जाती है. डॉक्टर ने कहा कि यह सारी सुविधाएं पटना एम्स में है. जिससे कई जटिल ऑपरेशन हाल के दिनों में सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं
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'यह मरीज काफी गरीब है और गरीबी के कारण समय पर उसने अपना इलाज नहीं कराया. जब दर्द ज्यादा बढ़ गया तब डॉक्टर के पास पहुंचा. जिसके बाद ट्यूमर को डायग्नोज किया गया. पेट के अंदर ट्यूमर, किडनी, आईवीसी और पेशाब के रास्ते को कंप्रेस कर रहा था और उन्हें धीरे-धीरे डैमेज कर रहा था. अगर यह ट्यूमर कुछ दिनों बाद पता चलता तो मरीज की जान भी जा सकती थी. क्योंकि पेट के अंदर ट्यूमर बहुत बड़ा हो चुका था. इसकी सर्जरी करने में 7 डॉक्टरों की टीम ने काफी घंटे मशक्कत किए हैं.'-डॉक्टर अनिल कुमार, एचओडी, ट्रामा, पटना एम्स
सर्जरी के बाद नहीं होता दर्द
डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि पटना एम्स में एनेस्थीसिया की नई तकनीक एपिड्यूरल एनेस्थीसिया (Epidural Anesthesia) का सर्जरी में प्रयोग किया जाता है. इससे सर्जरी के बाद भी मरीज को ज्यादा दर्द नहीं होता है.