पटना :जहरीली शराब काताजा मामला बिहार के सारण जिले के मकेर प्रखंड के फुलवरिया पंचायत के भाषा गांव में बुधवार की रात सामने आया है. संदिग्ध परिस्थितियों में 11 लोगों की मौत (11 people died in suspicious circumstances) हो गई है. कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है. जहरीली शराब पीने से कई लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी तक गंवा दी है. परिजनों का आरोप है कि यह सभी रात के समय शराब पीकर लौटे थे, जिसके बाद उल्टियां शुरू हो गईं और पेट में दर्द होने लगा. आनन-फानन में सारण सदर अस्पताल में एडमिट कराया गया. जिसके बाद वहां से कुछ लोगों को पटन पीएमसीएच ट्रांसफर कर दिया गया.
बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो मामले को गंभीरता से लिया गया है. कुछ लोगों के शवों का पोस्टमार्टम भी कराया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि मौत की वजह क्या रही है. पुलिस अपना काम कर रही है. इधर सारण के डीए और एसपी ने 11 लोगों की शराब से मौत की पुष्टि कर दी है.
उत्पाद विभाग की टीम कर रही छापेमारी :इसके साथ साथ जिला प्रशासन और उत्पाद विभाग की टीम की ओर संदिग्ध पर पदार्थ बेचने वालों की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी की जा रही है. मिल रही जानकारी के अनुसार, सारण क्षेत्र में शराब का निर्माण, बिक्री और भंडारण करने वालों के खिलाफ पुलिस और उत्पाद पुलिस ने संयुक्त रूप से छापेमारी शुरू कर दी है.
अबतक हो चुकी है सैकड़ों लोगों की मौत :बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद अब तक सैकड़ों लोगों ने जहरीली शराब पीने की वजह से असमय मौत को गले लगा लिया है. यही नहीं कई लोगों ने जीते जी अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठे हैं. बिहार में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए राज्य सरकार कई तरह के जरूरी कदम भी उठा चुकी है. इसके बावजूद शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है.जिसका नतीजा है कि आए दिन बिहार की किसी न किसी जिले में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत होती जा रही है और मौत का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. अक्सर देखने को मिला है कि जहरीली शराब से मौत होने के बाद कहीं न कहीं राज्य सरकार के निर्देश पर बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से अपनी कमियों को छुपाने की पूरी कोशिश की गई है.जब भी बिहार में जहरीली शराब से मौत को लेकर बवाल उठा है तो स्थानीय थाने के चौकीदार पर गाज गिरी है.
कई पुलिसकर्मियों पर भी गिर चुकी है गाज: पुलिस मुख्यालय की मानें तो शराब बंदी कानून के तहत लापरवाही बरतने वाले कई पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिर चुकी है. सवाल यह उठ रहा है कि शराबबंदी कानून को पालन करवाने के लिए एक ओर जहां बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को लगाया गया है. यही नहीं शराबियों को पकड़ने के लिए अलग से एंटी लिकर टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. इसके बावजूद राज्य सरकार और बिहार पुलिस कहीं न कहीं शराब बंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने में फेल साबित हो रही है.
एंटी लिकर टास्क फोर्स का गठन भी हो रहा रहा बेअसर :बिहार में जनवरी 2022 में 233 एंटी लिकर टास्क फोर्स का गठन किया गया था जिसमें करीबन 3000 पुलिसकर्मी को तैनात किया गया है. इन पुलिसकर्मियों का सिर्फ एक ही मकसद शराबियों को और शराब के धंधे में संलिप्त लोगों को पकड़ना है.एक ओर राज्य सरकार ने साल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद कानून में कई तरह के प्रावधानों में बदलाव किया है तो दूसरी ओर बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और खोजी कुत्ते के साथ-साथ एंटी लिकर टास्क फोर्स का गठन करने के बाद भी कहीं न कहीं शराबबंदी कानून सख्ती से लागू नहीं हो पा रहा है.
समाज सुधार यात्रा का भी असर नहीं : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर समाज सुधार यात्रा के जरिए भी लोगों से शराब से दूर रहने की अपील करते रहे हैं फिर भी जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है. बिहार में साल 2016 से शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से 3.50 लाख से ज्यादा लोग इस मामले में जेल जा चुके हैं. शराब कारोबारियों पर लगाम लगाने के लिए मद्य निषेध विभाग की ओर से राज्य के बाहर के सैकड़ों बड़े शराब माफिया की भी गिरफ्तारी की गई है. इनमें झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब , बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं जहां से गिरफ्तारियां हुई हैं. कहीं न कहीं यह भी मान जाता है कि बिहार सरकार ने बिहार पुलिस को पूर्ण रूप से शराब बंदी कानून को लागू करवाने में झोंक रखा है. शराबबंदी कानून के बाद जेल में बढ़ती संख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी आपत्ति जता चुका है.
पिछले साल हुई थी 90 लोगों की मौत :बिहार में जहरीली शराब से अब तक करीब सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है सिर्फ साल 2021 की बात करें तो 13 अलग-अलग घटनओं में बिहार के विभिन्न जिले में 90 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि जहरीली शराब से मौत के आंकड़े भी कहीं न कहीं बिहार पुलिस की ओर से छुपाए गए हैं. बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद यह कोई पहली मौत नहीं है इससे पहले भी बिहार के कई जिलों में जहरीली शराब पीने से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है.14 मई 2022 औरंगाबाद और गया में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हुई थी. मरने वाले में औरंगाबाद जिले और गया के 3 लोग शामिल थे. प्रशासन ने दोनों जगहों पर तीन- तीन लोगों की मौत से पुष्टि की थी. 14 मार्च 2022 को गोपालगंज जिले में जहरीली शराब से 4 लोगों की मौत हो गई थी. जिनमें तीन कुचायकोट थाने के शिवराजपुर गांव के और 11 पेंडुला राम सिंह गांव के रहने वाले थे. 3 नवंबर 2021 को बिहार के गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हुई थी. पश्चिम चंपारण के नौतन प्रखंड के बेलवा गांव में दीपावली की पूर्व रात्रि के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में 15 लोगों की मौत हुई थी.साल 2021 में जहरीली शराब का खाता मुजफ्फरपुर में 17 और 18 फरवरी 2021 को कटरा थाने के इलाके में 5 लोगों की मौत से खुला था.यही नहीं 26 फरवरी को भी मुजफ्फरपुर के मनियार स्थित विशनपुर गिद्दा में दो ग्रामीणों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई थी. फिर 28 अक्टूबर 2021 को भी मुजफ्फरपुर केसरिया थान क्षेत्र के रुपौली और विसापुर पट्टी गांव में जहरीली शराब से 8 लोगों की मौत हुई थी.वही जहरीली शराब से मौत की बड़ी घटन नवादा में होली के दौरान भी हुई थी जब टाउन थान क्षेत्र के गांव में 16 से अधिक लोगों की जान गई थी. होली के बाद जलइली शराब से बेगूसराय के बखरी में दो लोगों की मौत हुई थी.
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वही कोचा में चार लोग, गोपालगंज के विजयपुर में मझौली में तीन, बरही बीघा में एक, रोहतास के करगहर में एक और कैमूर के टाउन थान क्षेत्र में दो लोगों की मौत हो गई थी. जहरीली शराब से मौत की एक और बड़ी घटना पश्चिम चंपारण में जुलाई में 16 लोगों की मौत के साथ चर्चा में आई थी .इसके बाद सिवान के गुजरी में 24 अक्टूबर को चार लोग और इसके पहले वैशाली के राजापाकर में 12 अक्टूबर को एक व्यक्ति की मौत हुई थी. बिहार में जहरीली शराब से हो रही लगातार मौत को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में शराब बंदी कानून पूरी तरह से फेल है. बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद लोगों को आसानी से होम डिलीवरी के माध्यम से शराब मुहैया हो रही है. जेल में वैसे ही लोग जा रहे हैं जो गरीब तबके के हैं. उन्होंने हाल ही में राजधानी पटना में बीजेपी के एक एमएलसी का उदाहरण देते हुए कहा कि वीडियो काफी वायरल हुआ था जिसमें बीजेपी एमएलसी शराब नशे में दिख रहे थे. उन पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई है. कहीं न कहीं राज्य सरकार शराबबंदी को लेकर दोहरा नीति अपन रही है. शराबबंदी का असर ऐसा हुआ था कि जिलों में कैदियों की संख्या बढ़ गई थी. जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति जताई थी. जहरीली शराब से हो रही मौत को रोकने के लिए साल 2022 में एंटी लिकर टास्क फोर्स गठित की गई. उसका भी असर देखने को नहीं मिल रहा है.उन्होंने आरोप लगाया कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद कहीं न कहीं पुलिसकर्मियों की आमदनी बढ़ गई है.
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