पटनाःप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएचकी हालत बद से बदतर (Bihar Worst Health System) होती जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने बीते दिनों पीएमसीएच का देर रात औचक निरीक्षण किया था जिसमें पीएमसीएच की व्यवस्था की कलई खुल गई थी. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है और व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. अस्पताल में गंदगी के कारण मरीज और परिजन परेशान (Patient Upset Due To Bad Condition Of PMCH) हैं. रात होते ही वार्ड में कुत्तों का उत्पात शुरू हो जाता है. मरीजों को बुनियादी सुविधाएं भी अस्पताल में नहीं मिल पा रहीं हैं. आलम यह है कि मरीजों को वार्ड के अंदर सिरिंज और सलाइन वॉटर को छोड़कर कुछ भी नहीं मिल रहा. दवाइयां तो मरीजों के परिजन को बाहर से ही से खरीदनी पड़ती हैं.
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नहीं होती कई तरह की जरूरी जांचः पीएमसीएच में कई महीनों से खून के कई तरह के जांच बंद है. ऑपरेशन के पूर्व किसी भी मरीज का हेपिटाइटिस और एचआईवी जांच अनिवार्य है लेकिन यह जांच भी पीएमसीएच नहीं होता. ऑपरेशन के लिए जिन मरीजों को आना होता है, उन्हें बाहर से इस प्रकार की जांच को कराना पड़ता है. इसके अलावा कई अन्य प्रकार के रक्त जांच पीएमसीएच में नहीं होते. दलाल वार्ड के अंदर चक्कर लगाते हैं जो बताते हैं कि जो जांच पीएमसीएच में नहीं हो रहा वो उनके लैब से हो जाएगा. इतना ही नहीं यह दलाल ब्लड टेस्ट के लिए मरीजों का ब्लड भी कलेक्ट करते हैं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकारी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ को छोड़कर दूसरा व्यक्ति मरीजों को सिरिंज कैसे लगा सकता है.
टॉयलेट में दरवाजे तक नहींःबात अगर साफ सफाई की व्यवस्था की करें तो पीएमसीएच की स्थिति नारकीय है. अधीक्षक कार्यालय के ठीक सटे हथवा वार्ड है जो 2 मंजिला है और 4 पार्ट में बंटा हुआ है. चारों पार्ट में 8-8 टॉयलेट हैं, लेकिन किसी भी टॉयलेट में गेट नहीं है. कुछ टॉयलेट में चौखट से अलग गेट रखे हुए हैं और जब मरीज टॉयलेट के अंदर जाते हैं तो गेट को उठा कर चौखट पर सटाते हैं, टॉयलेट काफी बदहाल हालत में है, दुर्गंध काफी रहती है और कई टॉयलेट के सीट तक खराब हो चुके हैं. लाचार मरीज किसी प्रकार इस टॉयलेट को यूज करते हैं. जिससे अन्य संक्रामित बीमारियों से संक्रमित होने का भी खतरा बना रहता है. परिजनों का कहना है कि वह बाहर 10 रुपये खर्च कर सार्वजनिक शौचालय को इस्तेमाल करते हैं. अंदर का शौचालय यूज करने लायक नहीं है.
रात में मरीजों पर कूद जाते हैं आवारा कुत्ते:अस्पताल में गंदगी और व्यवस्था रात के समय काफी नजर आती है. गुजरी वार्ड के अंदर रात के समय कुत्ते टहलते हैं और मरीज के पेशाब के थैले (यूरीन बैग), दवाइयों के पैकेट इत्यादि को डैमेज कर देते हैं. मरीज के परिजन जो बेड के नीचे पॉलिथीन बिछाकर सोए रहते हैं, तब उनके ऊपर स्ट्रीट डॉग कूद जाते हैं. जिससे मरीज और तीमारदार परेशान हो जाते हैं. लेकिन इनकी निगरानी करने वाला कोई गार्ड वहां नजर नहीं आता. कहने को तो अस्पताल में गार्ड है लेकिन मरीज के परिजन ही कुत्तों को भगाते हैं.