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पदभार ग्रहण करते ही पशुपति ने खुद को बताया रामविलास का उत्तराधिकारी, कहा- 'चिराग के कोर्ट जाने से कुछ नहीं होगा' - Chirag Paswan

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने खुद को राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का उत्तराधिकारी बताया. उन्होंने कहा कि मेरे केंद्रीय मंत्री बनते ही चिराग (Chirag Paswan) कोर्ट चले गए, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है.

नई दिल्ली
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Published : Jul 8, 2021, 7:20 PM IST

नई दिल्ली/पटना:पशुपति पारस (Pashupati Paras) लोजपा (LJP) कोटे से केंद्र सरकार (Central Government) में कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) बनाए गए हैं. उन्हें खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. गुरुवार को पशुपति पारस ने अपने मंत्रालय के दफ्तर में पदभार ग्रहण कर लिया. उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय अनाज से जुड़ा हुआ है. जिन राज्यों में अनाज का ज्यादा उत्पादन होता है, वहां फैक्ट्री लगाऊंगा. ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सकें.

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उन्होंने कहा कि लीची और मकई की खेती हमारे बिहार में काफी होती है. इसलिये बिहार पर मेरा विशेष ध्यान रहेगा. फल एवं सब्जियों के प्रसंस्करण स्तर बढ़ाने पर जोर दूंगा. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बाजार को बढ़ाने के लिए देश में कई फूड पार्क विकसित हो रहे हैं. उस पर मुझे ध्यान रखना है.

''दिवंगत राम विलास पासवान जी मेरे बड़े भाई थे. उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी मैं हूं. रामविलास जी 1969 में पहली बार बिहार से विधायक बने थे. 1977 में जब वह सांसद बने तो अपना विधानसभा क्षेत्र उन्होंने मुझे दे दिया था. चिराग पासवान राम विलास जी के पुत्र हैं, लेकिन उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं है.''-पशुपति पारस, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री

ईटीवी भारत पर केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस

उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं मेरे कर्म अच्छे थे, इसलिए रामविलास पासवान के बाद लोजपा कोटे से केंद्रीय मंत्री बने हैं. रामविलास जी की जो सम्पत्ति है, उसके मालिक चिराग पासवान (Chirag Paswan) जरुर हैं, लेकिन वोउनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं हैं. मेरे मंत्री बनते ही चिराग कोर्ट चले गए, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है.

पशुपति पारस ने कहा कि मैं बिहार से सात बार विधायक रहा और 4 बार मंत्री रहा हूं. हाजीपुर से राम विलास जी कई बार सांसद रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी हाजीपुर सीट छोड़ दी और राज्यसभा सांसद बन गये. उन्होंने अपना संसदीय क्षेत्र मुझको दे दिया और हाजीपुर से मुझे चुनाव लड़ाया और मैं वहां से जीत गया.

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बता दें कुछ दिन पहले लोजपा में टूट हुई थी. पारस के साथ कुल पांच सांसद चिराग से अलग हो गये. सांसदों ने चिराग की जगह पारस को संसदीय दल का नेता बना दिया. पारस अपने गुट के लोगों के साथ बैठक कर राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. वहीं, चिराग ने भी अपने गुट के लोगों के साथ मिलकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलायी और खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया. लोजपा दो खेमों में बंट चुकी है. एक गुट पारस का है तो दूसरा चिराग का है. दोनों गुट खुद को असली लोजपा बता रहे हैं. मामला अभी चुनाव आयोग में है.

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