पटना: बिहार में 16 अगस्त से स्कूलों (School Open) में कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाएं खुल रही हैं. ऐसे में छोटे बच्चों के अभिभावक अभी इस समय अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं. अभिभावकों के मन में डर है कि कहीं देश के दूसरे हिस्से में जिस प्रकार से कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में उनके छोटे बच्चे कहीं संक्रमित ना हो जाए. सबसे अधिक डर कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों में है.
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दरअसल, बेंगलुरु में पिछले 10 दिनों में 500 से अधिक बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं. जलंधर समेत देश के कई जगहों पर बच्चों में संक्रमण के मामले तेजी से पिछले कुछ दिनों में बढ़े हैं. विशेषज्ञ पहले से ही ये पूर्वानुमान लगा रहे हैं कि तीसरी लहर में बच्चों के सबसे अधिक संक्रमित होने की आशंका है. ऐसे में लोगों को ये डर है कि कहीं ये तीसरी लहर की शुरुआत तो नहीं है.
''मेरे बच्चे दूसरी और तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं. ऐसे में अभी के समय भले ही स्कूल खुल रहे हैं, लेकिन हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. देश में कई जगहों पर जिस प्रकार से बच्चों में संक्रमण के मामले सामने आए हैं, उसके बाद डर लग रहा है. अब कुछ दिन का इंतजार करेंगे और स्कूल सही से चलते हैं और कोई बच्चा संक्रमित नहीं होता है, तभी अपने बच्चे को स्कूल भेजेंगे.''-बबलू कुमार, अभिभावक
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''कई अभिभावक ऐसे हैं जो अभी के समय अपने छोटे बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाह रहे हैं. ऐसे में उन्हें स्कूल की तरफ से ये बताया गया है कि जब बच्चे की ऑफलाइन क्लास चल रही होगी, उस समय ऑनलाइन मोड से बच्चों को पढ़ा पाना संभव नहीं होगा, लेकिन शिक्षक अलग से समय निकालकर घर पर रहकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी वीडियो तैयार करेंगे और स्पेशल क्लास चलाएंगे.''- पूनम कुमारी सिंह, प्राचार्य, जयपुरिया स्कूल
पटना के पीएमसीएच की चिकित्सक डॉ.शिखा रानी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का डर सभी को है. कई जगह संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी हालात चिंताजनक नहीं है. जहां भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां लॉकडाउन भी लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्कूल खुल रहे हैं तो बच्चे स्कूल जाएंगे ही, लेकिन इस समय वो शिक्षकों और अभिभावकों से यही अपील करेंगी कि शिक्षक और अभिभावक बच्चों को कोविड-19 एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करने की सीख दें.
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''बच्चों में कोरोना प्रोटोकॉल को पालन करने के लिए अवेयरनेस अधिक से अधिक किया जाए. छोटे बच्चे अधिक समय तक मास्क लगाना नहीं चाहते हैं. ऐसे में मास्क का महत्व समझाएं. डब्ल्यूएचओ द्वारा हैंड हाइजीन को लेकर जो प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं, उसके बारे में समझाया जाए. क्लास में शिक्षक बच्चों के बीच बेहतर तरीके से कोविड-19 प्रोटोकॉल पालन करें, यह सिखाया जाए और जो बच्चे बेहतर तरीके से प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं, उन्हें अप्रिशिएट करें ताकि अन्य बच्चे भी कोरोना प्रोटोकॉल अच्छे से फॉलो करने के लिए प्रेरित हो.''- डॉ.शिखा रानी, चिकित्सक, पीएमसीएच
उन्होंने कहा कि अभिभावक बच्चों को टाइट फिटिंग मास्क पहनाकर भेजें. बच्चों के बैग में एक कोरोना किट रख कर भेजें जिसमें एक एक्स्ट्रा मास्क और एक छोटी सी सैनिटाइजर की बोतल हो. स्कूल में शिक्षक इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे अपनी वाटर बोतल, पेंसिल, रबड़ और खिलौने इत्यादि सामान एक दूसरे से एक्सचेंज ना करें.
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बता दें कि अनलॉक-5 के तहत 16 अगस्त के प्रदेश के स्कूलों में कक्षा एक से 8वीं तक के क्लासेज खुल रहे हैं. ऐसे में सरकार ने शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूलों को खोलने के लिए जरूरी गाइडलाइन भी जारी किए हैं. बिना मास्क के बच्चों को स्कूल परिसर के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा और 1 दिन में एक क्लास के 50 प्रतिशत बच्चों को ही क्लासेज के लिए बुलाया जाएगा. इसके अलावा स्कूल बस में भी सभी को मास्क पहनना अनिवार्य है. स्कूल बस की खिड़की खुली रहनी चाहिए.