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दुबई में पैरा एथलेटिक्स में सिल्वर जीतकर पटना लौटे शैलेश कुमार, कहा- दिव्यांग खिलाड़ियों को सरकार से नहीं मिलता सम्मान - शैलेश कुमार ने दुबई में सिल्वर मेडल जीता

बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. खेलों में भी कम संसाधन के बावजूद हमारे खिलाड़ी उम्दा प्रदर्शन करते हैं लेकिन सरकार की बेरुखी से खिलाड़ी आहत हैं. पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियन शैलेश कुमार ने दुबई में सिल्वर मेडल जीता (Shailesh Kumar Won Silver Medal in Dubai) है. वो जब रविवार को पटना लौटे तो निराश भरे भाव से कहा कि पुरस्कार जीतने के साथ-साथ एक खिलाड़ी सरकार से सम्मान की उम्मीद रखता है.

शैलेश कुमार ने दुबई में सिल्वर मेडल जीता
शैलेश कुमार ने दुबई में सिल्वर मेडल जीता

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Published : Apr 3, 2022, 5:54 PM IST

पटना:पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियन शैलेश कुमार (Para Athletics International Champion Shailesh Kumar) बिहार में सरकारी स्तर पर सम्मान नहीं मिलने से दुखी हैं. पटना एयरपोर्ट पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अपने राज्य में सम्मान नहीं मिलने से निराशा जरूर होती है. दरअसल जमुई के रहने वाले शैलेश कुमार ने दुबई में सिल्वर मेडल जीता (Shailesh Kumar Won Silver Medal in Dubai) है. उसके बाद वह पटना लौटे हैं लेकिन कोई भी विभागीय अधिकारी उन्हें रिसीव करने नहीं पहुंचे.

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शैलेश कुमार ने दुबई में सिल्वर मेडल जीता: बिहार के जमुई के रहने वाले पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियन शैलेश कुमार दुबई में 21 मार्च से 24 मार्च तक आयोजित प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर पटना लौटे हैं. शैलेश ने कहा कि दिव्यांग खिलाडियों का सम्मान राज्य सरकार नहीं करती है, जबकि केंद्र सरकार हम जैसे दिव्यांग खिलाड़ियों को सम्मान करने की बात लगातार कहती है. उन्होंने कहा कि अगर वो भी एथेलेटिक्स में पदक जीतकर आते हैं तो एयरपोर्ट पर उन्हें भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए. अगर कोई अधिकारी आते तो हौसला अफजाई होती.

'फिर भी देश के लिए खेलते रहेंगे': शैलेश सिर्फ दुबई में ही नहीं, बल्कि हाल में भुवनेश्वर में भी हुए पैरा एथलेटिक्स में ऊंची जम्प में स्वर्ण पदक जीता है लेकिन अपने राज्य में सम्मान नहीं मिलने से बेहद निराश नजर आ रहे हैं. शैलेश का कहना है कि बिहार सरकार हमारे लिए कुछ करे या नहीं करे लेकिन हम अपने काम मे लगे रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारा हौसला कम नहीं होगा और देश के लिए खेलते रहेंगे. हम चाहते हैं कि हम जैसे कई दिव्यांग खिलाड़ी जो अच्छा खेलते हैं, राज्य सरकार उसे आर्थिक सहायता करें जिससे वो भी नेशनल और इंटरनेशनल गेम्स में हिस्सा लेकर भारत का नाम रौशन करें.

बचपन से था एथलेटिक्स का शौक:जमुई के रहने वाले पारा एथलेटिक्स खिलाड़ी शैलेश कुमार दिव्यांग जरूर हैं, लेकिन उनके हौसले काफी बुलंद हैं. शैलेश के पिता एक मामूली किसान है और खेती करके घर-परिवार चलाते हैं. बचपन से ही शैलेश को एथलेटिक्स का काफी शौक था. 12 साल की उम्र से उन्होंने खेलना शुरू किया था. घर परिवार का पूरा समर्थन मिला. हालांकि गांव और आस-पड़ोस के लोग कहते थे कि खेल कर क्या करोगे, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर शैलेश लगातार अभ्यास करते रहे. उन्होंने छात्र जीवन से ही छोटे-छोटे टूर्नामेंट खेलना शुरू किया था. संसाधन के अभाव के बावजूद शैलेश ने 2015 से स्टेट लेवल का टूर्नामेंट खेलना शुरू किया. 2017-18 में नेशनल खेला और 2019 में पहला इंटरनेशनल खेला और गोल्ड मेडल भी जीता. शैलेश ने अब तक कुल 20 मुकाबले खेले हैं. जिसमें उन्होंने 15 गोल्ड मेडल जीते हैं.

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