पटना:प्रदेश में पशुपालन घोटाले के बाद सृजन घोटाला सबसे चर्चित घोटाला रहा है. स्वयंसेवी संस्था और नौकरशाहों की सांठगांठ से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा था. लगभग 3 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले में अबतक सीबीआई के हाथ खाली हैं. 2 सालों बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. ऐसे में अब जांच प्रक्रिया पर ही सवाल उठने लगे हैं.
बता दें कि बिहार के भागलपुर से सृजन घोटाला प्रकाश में आया था. सीएम नीतीश कुमार ने खुद को इस घोटाले का विसलब्लोअर करार दिया था. हजारों करोड़ के इस घोटाले ने सरकार को हिला कर रख दिया था. विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन तक हंगामा किया था. तब जाकर जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट आरजेडी खड़े कर रही सवाल
आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने सीधे तौर पर कहा है कि डबल इंजन की सरकार घोटाले के आरोपियों को बचा रही है. उन्होंने कहा है कि घोटाले में कहीं न कहीं नीतीश कुमार खुद संलिप्त हैं. सीएम मामले की लीपापोती करने में लगे हुए हैं. भाई वीरेंद्र ने कहा है कि नीतीश कुमार पूरी तरह डरे हुए हैं.
भाई वीरेंद्र, आरजेडी विधायक 'लालू जेल जा सकते हैं तो नीतीश क्यों नहीं?'
वहीं, पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने भी जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. अमिताभ दास ने कहा है कि अगर चारा घोटाला मामले में लालू यादव जेल जा सकते हैं तो नीतीश कुमार को भी सृजन घोटाला मामले में जेल जाना चाहिए. अमिताभ दास ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि राजनीतिक दबाव में सीबीआई काम करती है इसलिए दोषियों को सजा नहीं मिल पा रही है.
अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस बचाव कर रहे बिहार सरकार के मंत्री
विपक्ष के आरोपों पर बिहार सरकार के मंत्री विनोद नारायण झा ने नीतीश कुमार का बचाव किया है. उन्होंने कहा है कि विपक्ष को धैर्य रखना चाहिए. जांच की प्रक्रिया जारी है. दोषियों को जरूर सजा मिलेगी. ये सरकार ना किसी को बचाती है ना किसी को फंसाती है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष के पास कोई प्रमाण है तो उन्हें जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराना चाहिए.
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क्या था मामला?
दरअसल, साल 2000 से ही भागलपुर में कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय खातों में ना डालकर सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम के एनजीओ के खातों में ट्रांसफर की जा रही थी. एक दशक के अंदर एनजीओ ने करोड़ों रुपए का घोटाला कर सरकार को मुश्किल में डाल दिया. शुरुआती दौर में घोटाले की रकम 1000 करोड़ के आसपास आंकी गई थी. लेकिन, बाद में आंकड़ा 3000 करोड़ से ज्यादा का हो गया.