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किशनगंज में ओवैसी फैक्टर के बाद राज्य में बढ़ी NRC की मांग, विपक्ष बोला- संविधान के तहत हो लागू

21 अक्टूबर को संपन्न हुए उपचुनावों में असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी कमरुल होदा ने किशनगंज से बीजेपी को पराजित किया. किशनगंज सीट पर मिली जीत एआईएमआईएम के लिये राज्य में पहली जीत है. एआईएमआईएम का बिहार में खाता खुलना, दूसरी पार्टियों के लिये चिंता का सबब है.

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Published : Oct 28, 2019, 11:54 PM IST

पटना: बिहार में हुये उपचुनावों के रिजल्ट में किशनगंज विधानसभा सीट से असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी की जीत के बाद फिर से एक बार राज्य में एनआरसी लागू करने का मुद्दा गरमाता जा रहा है. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि ओवैसी की पार्टी की जीत से देश में दलित और मुस्लिम एकता को प्रोत्साहन मिला है. वहीं आरजेडी नेता विजय प्रकाश ने कहा कि एनआरसी भारतीय संविधान के तहत ही लागू होना चाहिए.

जीतन राम मांझी ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और उनके कार्यकर्ताओं को इस जीत पर बधाई दी. साथ ही कहा कि देश में प्रजातंत्र है. हर एक पार्टी चुनाव लड़ और जीत सकती है. इसकी इजाजत भारत का चुनाव आयोग देता है. मांझी ने कहा कि ओवैसी के खिलाफ कुछ लोगों की विपरीत प्रतिक्रिया की वह आलोचना करते हैं. भारतीय संविधान के अनुसार ही एनआरसी लागू होनी चाहिये.

राजद ने भी किया विरोध
वहीं, आरजेडी नेता विजय प्रकाश ने भी कहा कि संविधान के तहत ही काम होना चाहिए, लेकिन इससे किसी को नुकसान नहीं होना चाहिये. किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिये. इस देश पर सभी धर्म के लोगों का बराबर अधिकार है. अगर किसी एक समुदाय को सरकार टारगेट बनाती है तो बिहार और देश की जनता सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी.

प्रतिक्रिया देते जीतन राम मांझी, विजय प्रकाश और राजेश राठौर

कांग्रेस ने भी संविधान के तहत एनआरसी लागू करने की मांग की
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने भी एनआरसी के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि सरकार यह कानून बनाये लेकिन दुर्भावना से नहीं. सरकार की सोच अच्छी होनी चाहिए. बता दें कि 21 अक्टूबर को संपन्न हुए उपचुनावों में असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी कमरुल होदा ने किशनगंज से बीजेपी को पराजित किया. किशनगंज सीट पर मिली जीत एआईएमआईएम के लिये राज्य में पहली जीत है. एआईएमआईएम का बिहार में खाता खुलना, दूसरी पार्टियों के लिये चिंता का सबब है. जिसके बाद राज्य में एक बार फिर से एनआरसी का मुद्दा तूल पकड़ने लगा है. बीजेपी की घोर विरोधी पार्टियां भी अब एनआरसी के मुद्दे पर एक साथ नजर आ रही हैं.

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