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अशोक चौधरी को लेकर विपक्ष लगातार कर रहा हमला, आखिर क्यों उनपर मेहरबान हैं नीतीश कुमार?

अशोक चौधरी जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और आज की तारीख में उनके पास भवन निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग समेत पांच विभागों की जिम्मेदारी है. अशोक चौधरी फिलहाल सदन के सदस्य भी नहीं हैं. अशोक चौधरी का विधानसभा विधान परिषद की सदस्यता 6 महीने पहले ही समाप्त हो चुकी है.

बिहार सरकार
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Published : Nov 29, 2020, 11:00 PM IST

Updated : Nov 30, 2020, 6:08 AM IST

पटना : मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाए जाने के बाद नीतीश कुमार पर सुचिता को लेकर जमकर हमला हुआ. इस मामले को विपक्ष ने आड़े हाथ लेते हुए एक बड़ा मुद्दा बना दिया. विपक्ष के हमले और मीडिया में लगातार चल रही खबरों के बाद सीएम नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी से इस्तीफा ले लिया. वहीं, शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार अशोक चौधरी को सौंप दिया गया. अब विपक्ष अशोक चौधरी को टारगेट कर रहा है.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बार-बार पूछ रहे हैं कि आखिर नीतीश कुमार अशोक चौधरी को पर इतने क्यों मेहरबान हैं, जब ऐसा ही था तो मेवालाल को हटाना नहीं चाहिए था. ऐसे में नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करें तो वो पहले भी आरोप लगते ही कई मंत्रियों से इस्तीपा ले चुके हैं.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

अशोक चौधरी को लेकर विपक्ष हमलावर
विधानसभा के अंतिम दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान तेजस्वी यादव ने अशोक चौधरी और उनके परिवार से संबंधित बैंक फ्रॉड के मामले के कई कागजात सदन के पटल पर रखे. असल में अशोक चौधरी की पत्नी नीता केस्कर चौधरी पर 30 जून 2014 को सीबीआई ने आईपीसी की धारा 420, 409, 467, 468 और 120 बी के तहत साजिश रचने के आरोप पर चार्जशीट दायर की थी. ये 3 करोड़ का बैंक कर्ज लेकर एक फैक्ट्री लगाने के नाम पर बैंक से धोखाधड़ी करने का मामला था.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

जानकारी मुताबिक, सीबीआई जांच में एक दूसरे फ्रॉड भी निकलकर सामने आ रहा है. नीता केस्कर चौधरी की कंपनी को करीब एक करोड़ 60 लाख वर्किंग कैपिटल के लिए बैंक से दिया गया. इस लोन की राशि वैशाली पेंट लिमिटेड के खाते में गयी, जिसके निदेशक अरविंद चौधरी थे. इनकी जमीन पर अशोक चौधरी का एक पेट्रोल पंप था. सीबीआई ने जांच में पाया कि अरविंद चौधरी ने अपनी जमीन बेचकर उसकी राशि सीधे अशोक चौधरी और उनकी पत्नी के संयुक्त एसबीआई में डाल दी.

सुप्रीम कोर्ट जाएंगे अशोक चौधरी!
इस मामले में जांच कर रही टीम ने अशोक चौधरी के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर करने की अनुमति मांगी थी, जो नहीं मिली. नीता केस्कर चौधरी आरोपपत्र के खिलाफ पटना हाई कोर्ट गईं, तब एक सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर 31 मई 2016 को रोक लगा दी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी. मीडिया से बात करते हुए अशोक चौधरी ने कहा था कि सीबीआई ने उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा है और सुप्रीम कोर्ट ने उनका पक्ष भी नहीं जाना है. ऐसे में हम लोग सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी की पोस्ट

'सीएम नीतीश ना किसी को फंसाते हैं और ना ही बचाते हैं'
पूरे मामले में जदयू नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. हां वो इतना जरूर कह रहे हैं कि नीतीश कुमार ना तो किसी को बचाते हैं और ना ही फंसाते हैं. वो भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं करते हैं.

अशोक चौधरी के ऊपर अहम जिम्मेदारियां
अशोक चौधरी जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और आज की तारीख में उनके पास भवन निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग समेत पांच विभागों की जिम्मेदारी है. अशोक चौधरी फिलहाल सदन के सदस्य भी नहीं हैं. अशोक चौधरी का विधानसभा विधान परिषद की सदस्यता 6 महीने पहले ही समाप्त हो चुकी है. बहरहाल, मामला इसलिए तूल पकड़ रहा है कि मेवालाल ने जिस आरोप में पद त्यागा है. विपक्ष का कहना है कि भ्रष्टाचार का वैसा ही आरोप अशोक चौधरी के परिवार पर भी है. लेकिन नीतीश कुमार अशोक चौधरी पर मेहरबान हैं. अब इसकी वजह क्या है, यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं.

Last Updated : Nov 30, 2020, 6:08 AM IST

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