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विपक्ष को क्यों सता रही है विधानसभा चुनाव में फर्जीवाड़े की आशंका? - बीजेपी

बिहार की ज्यादातर जनता ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. जो इंटरनेट और वर्चुअल तरीकों से अनजान हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव डिजिटल तरीके से कराने को लेकर विपक्ष परेशान है.

Patna
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Published : Jul 13, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Jul 13, 2020, 8:08 PM IST

पटनाःपूरे देश की साल 2020 पर नजर है. एक तरफ कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है दूसरी तरफ बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव आयोग कई बार कह चुका है कि चुनाव समय पर होंगे. वहीं विपक्ष को चुनाव में फर्जीवाड़े की आशंका सता रही है. जिससे वह अभी चुनाव नहीं कराने की मांग कर रहा है.

वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार
कोरोना संक्रमण को देखते हुए बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजनितिक दल परंपरागत तरीके से प्रचार या रैली नहीं कर पा रहे हैं. इस बार वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार की बात कही जा रही है. भारतीय जनता पार्टी और जदयू कई वर्चुअल रैलियां कर चुकी हैं और अपने कार्यकर्ताओं से वर्चुअल संवाद स्थापित कर रही है. साथ ही एनडीए के नेताओं की बैठकें भी वर्चुअल तरीके से हो रही हैं.

देखें रिपोर्ट

'चुनाव टालने की मांग'
लॉकडाउन लागू होने से पहले राष्ट्रीय जनता दल के नेता परंपरागत तरीके से मिलन समारोह और बैठक का आयोजन कर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनके सभी कार्यक्रमों पर ब्रेक लग गया है. चुनाव आयोग के सामने राजद और कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने परंपरागत चुनाव और परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार कराने की मांग की है. यहां तक की विपक्ष ने कोरोना वायरस की वजह से हो रही परेशानी को देखते हुए चुनाव फिलहाल टालने की मांग भी की है.

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह

'फर्जीवाड़े की पूरी संभावना'
राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि आखिर चुनाव की जल्दी क्यों है? लोकतंत्र में जब तक जनता से सीधा संवाद नहीं हो तब तक चुनाव सही तरीके से नहीं हो सकते है इसलिए विपक्ष परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार की मांग करता है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि डोर टू डोर संपर्क और रैलियों की भी अनुमति मिले नहीं तो चुनाव में फर्जीवाड़े की पूरी संभावना है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर डी एम दिवाकर

'वर्चुअल तरीकों से अनजान ग्रामीण क्षेत्र'
जगदानंद सिंह ने कहा कि बैलट पेपर के जरिए अपने अधिकारियों से मिलकर सत्ताधारी दल वोटिंग में फर्जीवाड़ा कर सकते हैं. इस बारे में सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर डी एम दिवाकर कहते हैं कि भारत की 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 39 प्रतिशत लोग अनपढ़ हैं. नोटबंदी और जीएसटी का अनुभव यह कहता है कि डिजिटल डिवाइस के कारण छोटे कारोबारी और छोटे व्यापारी बर्बाद हो गए. ऐसे ही आशंका डिजिटल चुनाव में भी है. जहां इंटरनेट और वर्चुअल तरीकों से अनजान ग्रामीण क्षेत्रों के लोग चुनाव प्रक्रिया से वंचित रह सकते हैं.

मंत्री नीरज कुमार

'आयोग के सामने बड़ी चुनौती'
डी एम दिवाकर ने कहा कि डिजिटल चुनाव का सीधा फायदा सत्ताधारी दलों को ही मिलेगा. जिससे इस बार सही तरीके से चुनाव कराना आयोग के सामने बड़ी चुनौती है. एनडीए नेता इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते. बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल दो तरह की बातें क्यों करता है? एक तरफ वे चुनाव की तैयारी और अपने कार्यकर्ताओं से एनडीए को हराने की बात कह रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ यह कह रहे हैं कि वह चुनाव नहीं चाहते.

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रोफेसर अजफर शमशी

'अनर्गल बातें कर रहा विपक्ष'
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रोफेसर अजफर शमशी ने कहा कि विपक्ष पहले ही हार मान चुका है. उन्हें पता है कि जनता का समर्थन नहीं मिलने वाला इसलिए वह अनर्गल बातें कर रहा है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने आम जनता की रातों की नींद उड़ा दी है. लोगों को न सिर्फ अपनी जान बल्कि अपना रोजगार बचाए रखने की भी चिंता सता रही है.

क्या होगा आयोग का फैसला
ऐसे में अब यह देखना है कि वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव आयोग क्या फैसला करता है? अगर इन परिस्थितियों में चुनाव होते हैं तो विपक्ष की आशंका का किस हद तक समाधान हो पाता है?

Last Updated : Jul 13, 2020, 8:08 PM IST

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