पटना:बिहार राज्यविकास दर के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. वहीं राज्य में संसाधनों पर बढ़ती जनसंख्या का दबाव है. पूरे बिहार की जनसंख्या (Population in Bihar ) भी सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर रही है. इस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमारने भी चिंता जाहिर की है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ रही है. वहीं वोट बैंक की चिंता ने राजनीतिक दलों को काफी असमंजस में कर रखा है. बताया जाता है कि बिहार पिछड़ा होने के बावजूद विकास की सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ रहा है.
संसाधनों में भारी कमी: राष्ट्रीय स्तर पर विकास के मामले में बिहार का प्रदर्शन काफी बेहतर बताया जाता है. जबकि राज्यभर में संसाधनों की कमी देखी जा रही है. इसके लिए राज्य के मुखिया नीतीश कुमार ने कहा है कि पूरे राज्य में काफी ज्यादा जनसंख्या का दबाव है. लिहाजा सरकार की नीतियां आम लोगों तक सही समय पर नहीं पहुंच पाती है. जिस कारण मुख्यमंत्री ने चिंता व्यक्त की है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है. यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 व्यक्ति निवास करते है.
12 करोड़ पार हुआ जनसंख्या: बिहार राज्य में 2012 की जनगणना के मुताबिक 99.2 मिलियन (करीब 10 करोड़) की आबादी है. जबकि अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा 12 करोड़ के पार जा चुका है. देशभर में बिहार राज्यों की जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा और क्षेत्रफल की दृष्टि से 12वां राज्य बताया जा रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में संतान उत्पत्ति दर में कमी आई है. बिहार जैसे राज्यों के लिए स्थिति खतरनाक दिख रही है. वहीं इन आंकड़ों ने सरकार को चिंता में डाल दिया.
पांच राज्यों की सूची: बताया जाता है कि राष्ट्रीय जन्म दर पहले 2.2 फीसदी थी. जबकि यह घटकर 2.0 हो गई है. बिहार में संतान उत्पत्ति दर राष्ट्रीय आंकड़े से ज्यादा है. जबकि बिहार में अभी भी संतान उत्पति दर 2.91 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 5 संतान उत्पत्ति दर वाले राज्यों की सूची जारी की गई है. जिसमें बिहार 2.9, मेघालय 2.91, उत्तर प्रदेश 2.35, झारखंड 2.26, मणिपुर 2.17 प्रतिशत है. जबकि साल 2008 में बिहार सरकार ने नियम बनाया था कि जिनलोगों के 2 बच्चे से अधिक होंगे वह नगर निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकता है.