पटना:अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुना दिया है. लेकिन, निर्णय आने के बावजूद भी इस पर सियासत थमी नहीं है. कुछ संगठनों ने कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया है. इस पर पक्ष और विपक्ष दोनों ने आपत्ति जताई है. पक्ष और विपक्ष दोनों का कहना है कि सालों से चल रहे विवाद का जब अंत हो गया है तो किसी को आवाज नहीं उठानी चाहिए.
बीजेपी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटिशन को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करार दिया है. वहीं, आरजेडी का कहना है कि पहले सबने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा उसे मानेंगे तो अब आपत्ति क्यों जता रहे हैं. इसपर कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है. लेकिन, कोर्ट और कानून सबसे ऊपर है.
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का बयान बीजेपी प्रवक्ता का बयान
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला लिया है. निश्चित तौर पर अगर कोई भी इस फैसले पर रिव्यू पिटिशन दायर करता है तो यह कोर्ट की अवमानना है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्होंने लोगों से अमन-चैन कायम रखने की अपील की है.
आरजेडी विधायक विजय प्रकाश का बयान आरजेडी का स्टैंड
मुस्लिम लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटिशन पर आरजेडी विधायक विजय प्रकाश ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश सर्वमान्य होना चाहिए. पहले सभी पक्षों ने कहा था कि कोर्ट जो भी निर्णय लेगा उसे वह स्वीकार करेंगे तो अब सवाल खड़े करने का कोई मतलब नहीं बनता है.
यह भी पढ़ें:CM नीतीश ने 55 विधान पार्षदों को सौंपी नए आवास की चाबी, नहीं पहुंचीं राबड़ी
कांग्रेस नेता ने भी जताई आपत्ति
कांग्रेस नेता सदानंद सिंह का मानना है कि अब राम मंदिर मुद्दे के फैसले पर विवाद करना बिल्कुल गलत है. उन्होंने कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी को गलत बताया है. उन्होंने साफ तौर से कहा है कि कांग्रेस पुनर्विचार याचिका का समर्थन नहीं करती है.
कांग्रेस नेता सदानंद सिंह का बयान क्या आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
बता दें कि सारे पक्ष की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर होने के साक्ष्य मिले हैं इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए अतिरिक्त 5 एकड़ जमीन दी जाएगी. लेकिन, मुस्लिम लॉ बोर्ड ने कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी है. उन्होंने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की बात कही है. हालांकि, इसको लेकर बोर्ड में ही दो फाड़ हैं.