पटना:कोरोना काल में बिहार में शिक्षा ऑनलाइन (Bihar Online Education) हो गई है. 2020 में जब कोरोना ने दस्तक दी तो बच्चों को पढ़ाई का नुकसान ना हो इसलिए इंडिया, ई-लर्निंग की ओर बढ़ा. लेकिन ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों और उनके बच्चों के लिए यह सिरदर्द बना हुआ है. जहां नेट की समस्या हो वहां इंटरनेट कैसे चलेगा? जहां मुश्किल से पेट भरने के लिए रोटी का जुगाड़ होता हो वहां डाटा कैसे मयस्सर हो पाएगा? लेकिन अब बिहार सरकार ने इन सवालों और समस्याओं का जवाब ढूढ़ निकाला है.
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ऑनलाइन पढ़ाई नहीं होगी अब मुसीबत
मुजफ्फरपुर के बोचहां स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कविता नवीं कक्षा में एडमिशन लेने के बाद कोरोना की वजह से घर पर रहने को मजबूर है. कविता के माता-पिता इतने गरीब हैं कि उनके घर में बमुश्किल एक छोटा सा मोबाइल है जिससे बातचीत हो पाती है. ई-लाइब्रेरी के बारे में जानकारी होते हुए भी कविता पढ़ाई नहीं कर पा रही. ऐसे में गरीब परिवार के बच्चों को भी डिजिटल डिवाइस देने की कवायद बिहार में शुरू हो गई है.
डिजिटल डिवाइस से शिक्षा
पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री के साथ ऑनलाइन बैठक में शिक्षा विभाग ने डिजिटल डिवाइस की मांग उठाई थी और अब 15 जून को होने वाली प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में भी शिक्षा विभाग डिजिटल डिवाइस का प्रावधान करने की मांग करने वाला है. इस बैठक में शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2021-22 सत्र के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा. बिहार का शिक्षा विभाग केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा अभियान के तहत डिजिटल डिवाइस के लिए राशि का प्रावधान करने की मांग कर रहा है.
डिजिटल डिवाइस की मांग
अगर डिजिटल डिवाइस की राशी मिलती है तो सरकारी स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में आसानी होगी. डिजिटल डिवाइस के जरिए स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली सामाजिक योजनाओं का लाभ भी आसानी से दिया जा सकेगा. विशेष तौर पर कोरोना जैसी आपदा के वक्त ऑनलाइन सिस्टम बेहद उपयोगी साबित हुआ है. पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री के साथ बैठक में भी शिक्षा विभाग की ओर से डिजिटल डिवाइस की मांग की गई थी. जानकारी के मुताबिक बिहार के अलावा कई अन्य राज्य भी समग्र शिक्षा अभियान के तहत डिजिटल डिवाइस के लिए प्रावधान करने की मांग कर रहे हैं.
क्यों पड़ी जरूरत
दरअसल कोरोना महामारी के वक्त जब लंबे समय से सभी स्कूल बंद पड़े हैं, बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. ऐसे मुश्किल वक्त में बिहार के शिक्षा विभाग ने कक्षा 1 से 12 तक की सभी किताबों को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया. ई लाइब्रेरी में तमाम पुस्तक और इससे संबंधित चैप्टर और वीडियो भी उपलब्ध हैं. लेकिन परेशानी अब इस बात को लेकर है कि इस ऑनलाइन कंटेंट को बच्चे पढ़ेंगे कैसे. क्योंकि बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब दो करोड़ बच्चों में से 80 फ़ीसदी से ज्यादा बच्चे ऐसे गरीब परिवारों से आते हैं जिनके पास ना तो इंटरनेट कनेक्शन है और ना ही कोई ऐसा डिजिटल डिवाइस जिसके जरिए वे ई-लाइब्रेरी का उपयोग करते हुए पढ़ाई कर सकें.