पटना: अंतरराष्ट्रीय योग सह विश्व संगीत दिवस के अवसर पर राजधानी में शिक्षायतन संगीत संस्था ने चेतना के मीत, गीत और संगीत सांसकृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया. मौके पर नृत्यांगना यामिनी ने बताया कि संगीत ईश्वरीय तत्वों का पोशाक है. सात शुद्ध और पांच कोमल स्वरों के माध्यम से मन को साधने का उपाय है संगीत.
'कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन'
नृत्यांगना यामिनी ने बताया कि संस्था हर साल इस कार्यक्रम का आयोजन काफी धूमधाम से करती थी. इस साल कोरोना संकट के कराण कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया. उन्होंने बताया कि मन और शरीर का संतुलन योग है. योग से मनुष्य का शरीर मन और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है. संगीत से आत्मा को शुद्धी मिलती है. कार्यक्रम का शुभारंभ व्याख्यान के साथ किया गया.
'कई कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति'
कार्यक्रम का शुभारंभ व्याख्यान के साथ किया गया. जिसके बाद कई कलाकारों ने अपनी मनमहोक नृत्य प्रस्तुति दी. व्याख्यान में साइंटिफिक कोऑर्डिनेशन ऑफ म्यूजिक एंड योगा पर व्याख्यान देते वक्ताओं ने कहा कि कोविड-19 की महामारी में जनता के बीच भय का माहौल है. जिस वजह से लोग अवसाद में जा रहे हैं. मानसिक संतुलन और शांति बनाए रखने में संगीत और योग का अहम योगदान है.
पहली बार कार्यक्रम का हुआ ऑनलाइन आयोजन
कथक नृत्यांगना यामिनी ने व्याख्यान करने के बाद देवताओं के प्रिय, कलाओं से परिपूर्ण गजानन संस्कृत श्लोकओं पर अपनी नृत्य की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में चेतना ग्रुप के कलाकार रजनी शर्मा ज्योति किरण मुस्कान ने भी अपनी प्रस्तुति दी. मौके पर संस्था के नित्यानंद ने बताया कि पहली बार इस कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया. इस दौरान 600 से भी अधिक दर्शक हमारे साथ जुड़े रहे.
21 जून को योग और विश्व संगीत दिवस
गौरतलब है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और विश्व संगीत दिवस दोनों मनाए जाते हैं. दोनों मिलकर न सिर्फ मानसिक शांति और संबल प्रदान करते हैं. योग से कोरोना को हराने के लिए जरूरी रोग प्रतिरोधक क्षमता और संगीत से मानसीक राहत, ये दोनों मिलकर संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं. संगीत जगत से जुड़े कलाकारों का मानना है योग और संगीत साधना, एक-दूसरे के पूरक हैं. विभिन्न शोध अध्ययनों में कहा गया है कि संगीत सुनने या गुनगुनाने से आपकी मानसिक स्थिति बेहतर होती है, जबकि योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है.