पटना:लॉकडाउन के दौरान बिहार में कैंसर मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. वहीं, पटना के आईजीआईएमएस और महावीर कैंसर संस्थान में भर्ती मरीजों का इलाज चलता रहा. यहां कीमोथेरेपी और रेडिएशन भी किया जाता रहा. ईटीवी भारत ने इस बाबत अस्पतालों का रुख करते हुए लॉकडाउन के हालात और अब के हालातों का जायजा लिया.
लॉकडाउन के दौरान जहां मरीजों को आने-जाने में परेशानी हो रही थी. वहीं, उनके सैंपल को जांच के लिए बाहर भी नहीं भेजा जा रहा था. कुरियर सेवा पूरी तरह बंद होने के चलते यह मुसीबत खड़ी हुई. आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट मनीष मंडल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान 30 से 40 मरीजों का इलाज संस्थान में किया जा रहा था. उन्होंने बताया कि हमारा अस्पताल सरकारी है. ऐसे में आशा की किरण सिर्फ आईजीआईएमएस था. प्राइवेट अस्पताल सभी बंद थे. हमने कैंसर को लेकर ओपीडी शुरू की. सस्ते दर पर मरीजों का इलाज किया गया.
बढ़ी मरीजों की संख्या
मनीष मंडल ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद अनलॉक-1 में मरीजों की संख्या बढ़ी है. अब रोजाना तकरीबन 150 मरीज अस्पताल आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रख रहे हैं.
कैंसर रोगियों के लिए घातक है कोरोना
कैंसर के विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा कैंसर रोगी में होता है. कैंसर मरीजों की इम्यूनिटी पावर कम होती है. उन्होंने कहा कि यह इम्यूनिटी बार-बार रेडिएशन या कीमोथेरेपी होने के कारण और कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन-5 शुरू होते ही मरीज इलाज कराने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि सभी का इलाज समय से हो. उन्होंने कहा कि कैंसर इलाज के दौरान मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. उनमें चिढ़चिढ़ापन आ जाता है भूख नहीं लगती है.