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पटना: राज्यपाल की सहमति के बाद पंचायती राज व्यवस्था को लेकर अधिसूचना जारी - bihar panchayat election 2021

राज्यपाल की सहमति के बाद पंचायती राज व्यवस्था को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. संशोधन के बाद यह अध्यादेश बिहार पंचायती राज संशोधन अध्यादेश-2021 कहा जाएगा.

Panchayati Raj Minister Samrat Choudhary
Panchayati Raj Minister Samrat Choudhary

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Published : Jun 2, 2021, 10:19 PM IST

पटना:बिहार में त्रिस्तरीयपंचायती राजप्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है. मंगलवार को कैबिनेट में नीतीश सरकार ने सलाहकार समिति के माध्यम से पंचायतों को चलाने का फैसला लिया है. आज राज्यपाल की सहमति के बाद विधि विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है.

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कैबिनेट में लिया गया था फैसला
अब त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का काम 16 जून से सलाहकार (परामर्शी) समितियां संभालेंगी. इसके लिए पंचायती राज अधिनियम, 2006 में संशोधन किया गया है.

मंगलवार को नीतीश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में इस पर बड़ा फैसला लिया और राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा. राजभवन से स्वीकृति के बाद आज यह जारी हुआ है. अब संशोधन के बाद यह अध्यादेश बिहार पंचायत राज संशोधन अध्यादेश-2021 कहा जाएगा.

विभाग ने जारी की अधिसूचना

नई उप धारा 5 जोड़ी जाएगी
बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा में संशोधन कर नई उप धारा 5 जोड़ी जाएगी. जिसमें धारा 14 की उप धारा 1 में 5 वर्षों की अवधि खत्म होने से पूर्व यदि किसी कारण से किसी ग्राम पंचायत का निर्वाचन कराना संभव नहीं हो तो, उक्त अवधि के अवसान पर वह ग्राम पंचायत भंग हो जाएगी. इस अधिनियम के अधीन या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अधीन ग्राम पंचायत में निहित सभी शक्ति और कृत्य का प्रयोग या संपादन ऐसी परामर्शी समिति द्वारा की जाएगी, जिससे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना से गठित किया जाए.

कोरोना के कारण नहीं हुआ चुनाव
इस अध्यादेश के माध्यम से अब वार्ड, पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का काम सलाहकार समिति संभालेगी. पंचायतों और कचहरियों का काम प्रभावित नहीं हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. बिहार में पंचायत का चुनाव पहले ईवीएम और फिर कोरोना महामारी के कारण नहीं हो सका है. उसके कारण सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है.

सभी दलों ने सरकार से मांग की थी कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाया जाए और चुनाव तक उन्हें अधिकार दिया जाए. अधिकारियों को पंचायत का जिम्मा सौंपने का सभी ने विरोध किया था और उसके बाद ही सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है.

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